Hindi, asked by navneetbrar6543, 7 months ago

वाख कविता में समभावी किसे बताया गया है?


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Answered by ashok84238
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hope it's help◉‿◉

  • जब हम सांसारिक भोग-लिप्सा में तृप्त रहते हैं, तब तो हम सच्चे ज्ञान से दूर रहते ही हैं, इसके विपरीत जब हम त्याग और तपस्या में लीन हो जाते हैं, तब हमारे अंदर अहंकार रूपी अज्ञान आ जाता है, जिसके द्वारा हम सच्चे ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर पाते। इसीलिए कवयित्री हमें बीच का मार्ग अपनाने के लिए कह रही है। जिससे हमारे अंदर वासना और भोग-लिप्सा भी नहीं होगी और न ही अहंकार हमारे अंदर पनप पाएगा। तभी हमारे अंदर समानता की भावना रह पाएगी। इसके बाद ही हम प्रभु की भक्ति में सच्चे मन से लीन हो सकते हैं।
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