वाख कविता में समभावी किसे कहा गया है?plz urgent
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खा खा कर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी। सम खा तभी होगा समभावी, ...
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह। सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह! ज़ेब टटोली कौड़ी ना पाई। ...
थल थल में बसता है शिव ही, भेद न कर क्या हिन्दू-मुसलमां। ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
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