Music, asked by udaypartaprana125, 1 month ago

विलंबित मध्य और दुर्त किसके प्रकार है​

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Answered by krunalpatel2606
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Answered by shrutisharma07
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इसका आरंभ कब हुआ यह निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में प्रबंध और रूपक, दो प्रकार की गान शैली प्रचलित थी। प्रबंध शैली से ध्रुपद का विकास हुआ और रूपक से ख्याल और ठुमरी का। अमीर खुसरो ने ख्याल गायकी का परिशोधन किया। चौदहवीं शती में जौनपुर के सुल्तान हुसेन शाह ने ख्याल के विशेष प्रोत्साहित किया। किंतु उनके पश्चात्‌ यह उपेक्षित सा ही रहा। 18वीं शती में मुगल सम्राट् मुहम्मद शाह के समय में इसकी पुन: पूछ हुई। उनके दरबार में सदारंग और अदारंग नामक दो गायक बंधु थे जो तानसेन के वंशज कहे जाते हैं। इन लोगों ने हजारों की संख्या में ख्याल की रचना की और अपने शिष्यों में उनका प्रसार किया। किंतु आश्चर्य की बात यह है कि इन दोनों गायकों ने स्वयं कभी नहीं गाया और न अपने वंशजों को ही गाने की अनुमति दी। इस कारण ख्याल की गणना शास्त्रीय संगीत के अंतर्गत नहीं की जाती। इसके बावजूद उनके शिष्यों ने ख्याल को लोकप्रियता प्रदान की। ख्याल के प्रचार प्रसार से जिन गायकों को ख्याति प्राप्त हुई है उनमें कुछ उल्लेखनीय हैं-भातखंडे, विष्णु दिगंबर पलुस्कर, उस्ताद करीम खाँ, उस्ताद फैयाज खाँ।

विलंबित और द्रुत ख्याल के दो प्रकार हैं। जिस ख्याल की रचना ध्रुपद शैली पर होती है वह विलंबित लय और तिलवाड़ा, झुमरा, झाड़ा चौताल अथवा एक ताल में गाया जाता है। इसे बड़ा ख्याल कहते हैं। जो ख्याल चपल चाल से त्रिताल, एक ताल अथवा झपताल में गाया जाता है वह द्रुत ख्याल है; उसे छोटा ख्याल भी कहते हैं। बड़े ख्याल की रचना सदारंग और अदारंग ने की थी। उनसे पहले शास्त्रीय संगीत के रूप में ध्रुपद-धमार और छोटा ख्याल गाया जाता था। आजकल महफिलों में गायक पहले बड़ा ख्याल उसके बाद छोटा ख्याल, दोनों गाते हैं। ख्याल गायकी के कितने ही घराने और उनमें प्रत्येक के गाने का ढंग अपना अपना है।

ख्याल के अस्थायी और अंतरा दो भाग हैं। गायक पहले बंदिश बाँधकर आलाप और तान द्वारा स्वर का विस्तार करता है और फिर धीरे-धीरे राग की इमारत उभारता है। जो गायक अपनी प्रतिभा द्वारा ख्याल की कल्पनापूर्ण सजावट करने की क्षमता रखता है वही ख्याल का श्रेष्ठ गायक माना जाता है। ख्याल का मुख्य रस सामान्यत: विप्रलंभ श्रृंगार है।

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