India Languages, asked by sanjaymallah907, 7 months ago

विला-
जीये जपेजडाव्यपाहितनो विचार - विस्तार
जापनहीं, सारनहीं, नही लायनीमां नेह,
तेघर हीन छ, उंयन परसे मेह.in gujarati​

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Answered by mittalraval580120
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Answer:

चैतन्य संप्रदाय के गदाधर भट्ट, राधा-वल्लभ संप्रदाय के हित हरिवंश (श्री कृष्ण की बाँसुरी के अवतार) एवं संप्रदाय-निरपेक्ष कवियों में रसखान, मीराबाई आदि प्रमुख कृष्णभक्त कवियों ने ब्रजभाषा के साहित्यिक विकास में अमूल्य योगदान दिया। इनमें सर्वप्रमुख स्थान सूरदास का है जिन्हें 'अष्टछाप का जहाज' कहा जाता है। उत्तर मध्यकाल (अर्थात रीतिकाल) में अनेक आचार्यो एवं कवियों ने ब्रजभाषा में लाक्षणिक एवं रीति ग्रंथ लिखकर ब्रजभाषा के साहित्य को समृद्ध किया। रीतिबद्ध कवियों में केशवदास, मतिराम, बिहारी, देव, पद्माकर, भिखारी दास, सेनापति, मतिराम आदि तथा रीतिमुक्त कवियों में घनानंद, आलम, बोधा आदि प्रमुख हैं। (ब्रजबुलि- बंगाल में कृष्णभक्त कवियों द्वारा प्रचारित भाषा का नाम।)

अवधी : अवधी को साहित्यिक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने का श्रेय सूफी/प्रेममार्गी कवियों को

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