Math, asked by gworishankardewangan, 8 months ago

विलासा पाठ का सारांश हिंदी में​

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Answered by sahiljawale2006
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Answer:

लेखक को पास में ही कहीं जाना था । लेखक ने यह सोचकर सेकंड क्लास का टिकट लिया की उसमे भीड़ कम होती है , वे आराम से खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देखते हुए किसी नए कहानी के बारे में सोच सकेंगे । पैसेंजर ट्रेन खुलने को थी । लेखक दौड़कर एक डिब्बे में चढ़े परन्तु अनुमान के विपरीत उन्हें डिब्बा खाली नही मिला । डिब्बे में पहले से ही लखनऊ की नबाबी नस्ल के एक सज्जन पालथी मारे बैठे थे , उनके सामने दो ताजे चिकने खीरे तौलिये पर रखे थे । लेखक का अचानक चढ़ जाना उस सज्जन को अच्छा नही लगा । उन्होंने लेखक से मिलने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई । लेखक को लगा शायद नबाब ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए लिया है ताकि वे अकेले यात्रा कर सकें परन्तु अब उन्हें ये बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था की कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे । उन्होंने शायद खीरा भी अकेले सफर में वक़्त काटने के लिए ख़रीदा होगा परन्तु अब किसी सफेदपोश के सामने खीरा कैसे खायें । नबाब साहब खिड़की से बाहर देख रहे थे परन्तु लगातार कनखियों से लेखक की ओर देख रहे थे । बुरककर अचानक ही नबाब साहब ने लेखक को सम्बोधित करते हुए खीरे का लुत्फ़ उठाने को कहा परन्तु लेखक ने शुक्रिया करते हुए मना कर दिया । नबाब ने बहुत ढंग से खीरे को धोकर छिले , काटे और उसमे जीरा , नमक - मिर्च तौलिये पर सजाते हुए पुनः लेखक से खाने को कहा किन्तु वे एक बार मना कर चुके थे इसलिए आत्मसम्मान बनाये रखने के लिए दूसरी बार पेट ख़राब होने का बहाना बनाया । लेखक ने मन ही मन सोचा कि मियाँ रईस बनते हैं लेकिन लोगों की नजर से बच सकने के ख्याल में अपनी असलियत पर उतर आयें हैं । नबाब साहब खीरे की एक फाँक को उठाकर होठों तक ले गए , उसको सूंघा । खीरे की स्वाद का आनंद में उनकी पलकें मूंद गयीं । मुंह में आये पानी का घुट गले से उतर गया , तब नबाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया । इसी प्रकार एक - एक करके फाँक को उठाकर सूंघते और फेंकते गए । सारे फाँको को फेंकने के बाद उन्होंने तौलिये से हाथ और होठों को पोछा । फिर गर्व से लेखक की ओर देखा और इस नायब इस्तेमाल से थककर लेट गए । लेखक ने सोचा की खीरा इस्तेमाल करने से क्या पेट भर सकता है तभी नबाब साहब ने डकार ले ली और बोले खीरा होता है लजीज पर पेट पर बोझ डाल देता है । यह सुनकर लेखक ने सोचा की जब खीरे के गंध से पेट भर जाने की डकार आ जाती है तो बिना विचार , घटना और पात्रों के इच्छा मात्र से नई कहानी बन सकती है ।

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