Hindi, asked by mango673, 1 year ago

वे मुस्काते फूल, नहीं

जिनको आता है मुर्झाना,

वे तारों के दीप, नहीं

जिनको भाता है बुझ जाना

 

वे सूने से नयन,नहीं

जिनमें बनते आंसू मोती,

वह प्राणों की सेज,नही

जिसमें बेसुध पीड़ा सोती

 

वे नीलम के मेघ, नहीं

जिनको है घुल जाने की चाह

वह अनन्त रितुराज,नहीं

जिसने देखी जाने की राह


ऎसा तेरा लोक, वेदना

नहीं,नहीं जिसमें अवसाद,

जलना जाना नहीं, नहीं

जिसने जाना मिटने का स्वाद!


क्या अमरों का लोक मिलेगा

तेरी करुणा का उपहार

रहने दो हे देव! अरे

यह मेरा मिटने का अधिकार!




please read answer the following questions



1.फूलों को क्या नहीं आता है और रात को क्या नहीं भाता है?


2.देवलोक मृत्युलोक से कैसे भिन्न है?


3.ईश्वर का लोक कैसा है? कवयित्री उसे क्यों नहीं पाना चाहती




please don't answer rubush





Answers

Answered by Anonymous
5

heya..

here is your answer..

1.फूलों को क्या नहीं आता है और रात को क्या नहीं भाता है?

Ans वे मुस्काते फूल, नहीं

जिनको आता है मुर्झाना,

वे तारों के दीप, नहीं

जिनको भाता है बुझ जाना|

It may help you...☺☺

Answered by itsmetryeverything
0

Answer:

up answer is the correct answer bro

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