Hindi, asked by GovindKrishnan, 1 year ago

' विमुद्रीकरण ' के बारे में 200 शब्दों में निबंद लिखो |

Write a Hindi essay on 'Demonetization' in 200 words.

Answers

Answered by rishilaugh
8
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के लिए विमुद्रीकरण एक साहसिक कदम है|समय –समय पर अनेक राष्ट्र इसका प्रयोग करते है| इसका सामान्य अर्थ है कि तत्कालीन समय की प्रचलित मुद्रा को अयोग्य घोषित कर देना और नयी मुद्रा का प्रसार करना| एक निश्चित प्रदत्त समयावधि के बाद वो मुद्रा बाजार में लेंन –देन योग्य नहीं रहेगी| जबसे व्यवसाय  सामाजिक जीवन  का अभिन्न रूप बना ,  तब से आदान प्रदान के लिए मूल्यों की  आव्यशकता उत्त्पन्न हुई |आर्थिक व्यवस्था को मज़बूती देने के लिए 'मुद्रा' का अविष्कार किया गया | मुद्रा के बाज़ार में घूमने से  राज्य की आर्थिक प्रणाली मज़बूत रहती हैं । वंही अगर मुद्रा की कालाबाज़ारी करी जाये  तो  राज्य पर  तरह -तरह से संकट का निर्माण होता हैं । जैसे महंगाई का बढ़ जाना । राज्य को बिना बताय संग्रह करना और धन को  राज्य से बाहर ले जाना ।भारत में 1954 में 10000 रुपये के नोट चालू  करे गये । उस समय सामान्य व्यक्ति की आय औसतन  250 रुपये से ज्यादा नही थी ।  भृष्टाचारियों ने रिश्वत देने का आसान तरीका अपना लिया ,  दस हज़ार का एक नोट कँही भी आसानी से छुपाया जा सकता था। महाभृष्टाचारियों के लिए विदेश में पैसा ले जाना आसान हो गया , एक सूटकेस में पैसा डालो और  ज्यादा से ज्यादा पैसा विदेश ले जाओ।

वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ८ नवम्बर २०१६ को ५०० व १००० के नोट बंद होने की घोषणा की| जल्दी ही ५०० ,१००० व २००० के नये नोट बाजार में लाये गये| बैंक व ए टी एम के बाहर लम्बी लाइने देखी गई| आमजन को कुछ परेशानी का सामना करना पडा | पर भावी सुखद परिवर्तन के लिए आमजन ने इसका पुरजोर समर्थन किया| जिनके पास अघोषित काला धन था उनकी जान सांसत में आ गई| नोटबन्दी के चार महीने बाद भी पुराने नोट नदी में बहने की , पकड़े जाने की खबरें मिल रही है| अगर नोटबंदी के फायदों पर दृष्टि डाली जाये तो हमें ज्ञात होगा कि इसका सर्वप्रथम उद्देश्य आतंकवाद, कालाधन और नस्लवाद पर अंकुश लगाना है| साथ ही लोगों के लिए अब टेक्स का भुगतान अनिवार्य हो जायेगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी| इससे रोजगार में वृद्धि होगी| साथ ही ये पैसा देश के विकास में सहायक होगा| इस प्रक्रिया की सफलता से देश नकदीरहित व्यवस्था की ओर अग्रसर होगा| जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी| कालाबाजारी पर लगाम लगेगी|

अगर हम विमुद्रीकरण के नुकसान पर दृष्टि डाले तो स्पष्ट होगा कि भारत में आज भी छोटे क्षेत्रो में अशिक्षा व इंटरनेट का अभाव होने से ज्यादातर लेंन –देन नकद में ही होता है| अत: छोटे उद्योगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा| मध्य के दो महीनों में रोजगार प्रभावित होने से सकल घरेलू उत्पाद में भी कमी आई| आम जनता जिनके बैंक खाते नहीं है; वे भी त्रस्त दिखाई दिए| निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि परिवर्तन की प्रक्रिया सदैव कुछ कष्टदायक होती है| ईमानदार लोगों के लिए कुछ दिन संघर्षपूर्ण अवश्य रहे  पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की आस सभी को सांत्वना देती रही| अर्थशास्त्रियों का मानना है कि   विमुद्रीकरण के दूरगामी सुखद परिणाम होंगे|

GovindKrishnan: Thanks Sir!!! ^_^
duragpalsingh: wow
Answered by Anonymous
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जब 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 8:15 बजे नोटबंदी की घोषणा की तो सारे भारत में भूकंप सा आ गया।  कुछ लोगों को लगा कि प्रधानमंत्री भारत व पाकिस्तान के कड़वे होते रिश्ते के बारे में बोलेंगे या शायद दोनों देशों के बीच में युद्ध का ऐलान ही ना कर दें।  लेकिन यह घोषणा तो कुछ लोगों के लिए युद्ध के ऐलान से भी घातक सिद्ध हुई।   उनकी रातों की नींद उड़ गई।  कुछ लोग होशोहवास खोते हुए जेवेलर्स के पास दौड़े व् उलटे-सीधे दामों में सोना खरीदने लगे।

अगले दिन से ही बैंक व ए टी एम  लोगों के स्थाई पते बन गए।  लाइनें दिनों दिन भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या को दिखानें लगीं।  सरकार भी कभी लोगों को राहत देने के लिए व कभी काला धन जमा करने वालों के लिए नए नए कानून बनाती दिखी।  कभी बैंक व  ए टी एम से पैसे निकलवाने की सीमा घटाना व बढ़ाना व कभी पुराने रुपयों को जमा करवानें के बारे में नियम में सख्ती करना या ढील देना।

विपक्षी दल पूरी एकजुटका से सरकार के निर्णय को असफल व देश को पीछे ले जाने वाला सिद्ध करने में लग गए।  उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था मानों किसी ने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो।  लगभग पूरा विपक्ष सरकार के इस अन्याय के खिलाफ खड़ा हो गया।  मोर्चे, प्रदर्शन, रोष प्रकट किये गए।  अनेकता में एकता का भाव सार्थक हुआ।

दूसरी तरफ सरकार अपने इस निर्णय को सही साबित करने में लगी रही।  कभी प्रधानमंत्री व उनकी टीम लोगों को इस नोटबंदी के फायदे गिनाने में लगे रहे व कभी पचास दिन का  समय मांगते नजर आये।  लोगों के अंदर भी बहुत भाईचारा देखने को मिला।  अमीर दोस्तों को उनके गरीब नाकारा दोस्त याद आये।  अमीर रिश्तेदारों को अपने गरीब रिश्तेदारों के महत्व का एहसास होने लगा।  अमीर बेटे की गरीब माँ का बैंक अकॉउंट जो की पिता की मौत के बाद मर चुका था अचानक जिन्दा हो गया। ऐसा लगा मानों पूरी मानवता जिन्दा हो गई।

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