वामन ने महाबली के अहंकार को नष्ट करने के लिए क्या किया
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रविवार को स्वामी जी ने श्री हरि के वामन अवतार कथा प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि दान वीर राजा बलि महादानी था। मगर उसे अपने दानवीर होने का अहंकार हो गया था, जिसके चलते भगवान विष्णु ने उसका अहंकार भंग करने के लिए वामन अवतार लिया। वामन रूप धर कर वह राज बली के द्वार पर गए और राजा बलि से उन्होंने तीन पग भूमि दान देने को कहा।
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रविवार को स्वामी जी ने श्री हरि के वामन अवतार कथा प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि दान वीर राजा बलि महादानी था। मगर उसे अपने दानवीर होने का अहंकार हो गया था, जिसके चलते भगवान विष्णु ने उसका अहंकार भंग करने के लिए वामन अवतार लिया। वामन रूप धर कर वह राज बली के द्वार पर गए और राजा बलि से उन्होंने तीन पग भूमि दान देने को कहा। उस समय उसके गुरु शुक्राचार्य भी मौजूद थे। उन्होंने नारायण को पहचान लिया और राजा बलि से कहा कि वामन देव कोई और नहीं स्वयं श्री हरि विष्णु हैं। मगर अहंकार में आए राजा बलि ने कहा कि जब नारायण स्वयं मेरे से कुछ मांगने आए हैं तो वह देने से कैसे इंकार कर सकता है।
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