विनिमय प्रक्रिया की व्यवस्था क्यों करनी पड़ती है?
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विनिमय का अर्थ है किसी वस्तु के बदले किसी दूसरी वस्तु का आदान-प्रदान करना। जब हम किसी वस्तु के बदले दूसरी वास्तु देते या प्राप्त करते हैं तो वह विनिमय कार्य कहलाता हैं। विनिमय को दो वर्गों में विभाजित किया गया हैं।
क्रय विनिमय- जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तो उसके बदले में जो भी मूल्य देते हैं, क्रय विनिमय कहलाता है।
विक्रय विनिमय - जब हम कोई वस्तु बेचते हैं और इसके बदले मे जो मूल्य प्राप्त करते हैं, विक्रय विनिमय कहलाता है।
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