Geography, asked by ratankumarr649, 8 months ago

विनिर्माण उद्योग जा कुछ मामलों में कृषि पर निर्भर है वह कृषि विकास में सहायक भी है कैसे ​

Answers

Answered by amitdhani
3

Answer By Amit

कृषि-आधारित उद्योग देश के भीतर और बाहर प्रतिस्पर्धी लाभ की धारणा के अनुरूप हैं। वे अधिशेष ग्रामीण श्रम को रोजगार प्रदान करने के लिए एक सुरक्षा कवच की भूमिका निभा सकते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी/ प्रच्छन्न रोजगार की समस्या का समाधान कर सकते हैं। यहाँ वास्तविक चुनौती यह है कि सरकार अपनी योजनाबद्ध और नीतिगत हस्तक्षेप को कितने प्रभावी ढंग से लागू करती है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी सामाजिक-आर्थिक संरचना, कृषि उत्पादन प्रणाली और बुनियादी कृषि विनिर्माण विशेषताओं की पहचान को कम किए बिना एक सर्वांगीण औद्योगिक विकास सुनिश्चित किया जा सके।

विकासशील राष्ट्रों की आर्थिक नीतियों ने हमेशा न केवल उत्पाद और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से, बल्कि प्रसंस्करण और विनिर्माण के माध्यम से कृषि उत्पादों में प्रणालीगत मूल्य-संवर्धन द्वारा किसानों की आय बढ़ाने की वकालत की है। भारत की विशाल जनसंख्या अभी भी कृषि और सम्बद्ध गतिविधियों में लगी हुई है। भारतीय किसान काफी हद तक असंगठित हैं। वे अपने विपणन योग्य अधिशेष के निपटान के लिए बाहरी एजेंसियों पर निर्भर रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पूंजीगत सम्पत्ति की कमी के कारण उन्हें बिचौलियों/कमीशन एजेंटों को अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। प्राथमिक कृषि उत्पादन से कम आय और प्रसंस्करण तथा कृषि-मूल्य श्रृंखला में निवेश की कमी के कारण कृषि के मुनाफे में तेजी से कमी आई है एवं कृषि कार्य अब गम्भीर दवाब में आ गया है।

ग्रामीण और शहरी भारत में औद्योगिक परिदृश्य

केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (तालिका-1) के वार्षिक सर्वेक्षण में रिपोर्ट की गई संगठित विनिर्माण इकाइयों के औद्योगिक आंकड़े बताते हैं कि 2017-18 में ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा कारखानों की संख्या कम थी। हालांकि, उनके कुल उत्पादन और क्षेत्र में शुद्ध वर्धित मूल्य के सम्बन्ध में समानता थी। इससे पता चलता है कि अधिक ग्रामीण औद्योगिक इकाइयों की स्थापना ग्रामीण अधिशेष श्रम को न केवल रोजगार प्रदान करने में अहम भूमिका निभाएगी परन्तु, कुल औद्योगिक उत्पादन और मूल्यवर्धन में भी बड़े पैमाने पर योगदान देंगी।

कृषि-आधारित उद्योग- परिभाषा और प्रकार

ग्रामीण क्षेत्रों और उनके आस-पास कृषि-आधारित उद्योगों का विकास कृषि को स्वीकार्य और आकर्षक बनाने तथा स्थिरता प्रदान करने की क्षमता रखता है। ‘कृषि उद्योग’ एक सर्वव्यापी अभिव्यक्ति है जिसमें विभिन्न औद्योगिक, प्रसंस्करण और विनिर्माण गतिविधियों का समावेश कृषि पर आधारित कच्चे माल पर होता है और उन गतिविधियों और सेवाओं को भी समाहित करता है जो इनपुट के रूप में कृषि से प्राप्त होती हैं। कृषि और उद्योग किसी भी विकासशील राष्ट्र की विकास प्रक्रिया में उनकी परस्पर निर्भरता और आपसी सम्बन्धों के कारण एक-दूसरे के पूरक हैं। कृषि उद्योग को इनपुट प्रदान करती है और औद्योगिक उत्पादन का उपयोग कृषि में इसके उत्पादन और उत्पादकता आधार का विस्तार करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार, कृषि उद्योग न केवल कृषि से प्राप्त कच्चे माल का उपयोग करने वाली गतिविधियों को शामिल करता है, बल्कि उन्हें भी शामिल करता है जो आधुनिक कृषि व्यवसाय के लिए इनपुट भी प्रदान करते हैं।

इनपुट-आउटपुट अनुबंधन और कृषि व उद्योग एक-दूसरे पर आधारित होने के कारण कृषि उद्योग दो प्रकार के हो सकते हैं-(क) प्रसंस्करण उद्योग या कृषि-आधारित उद्योग और (ख) इनपुट आपूर्ति उद्यो या कृषि उद्योग। इस प्रकार, प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन और उत्पादकता वृद्धि के लिए तैयार और विनिर्माण आदानों के माध्यम से कृषि का समर्थन करने वाली एजेंसियों को ‘कृषि उद्योग’ कहा जाता है, जबकि कृषि-आधारित उद्योग प्रक्रिया और मूल्य ऐसे कृषि संसाधनों को जोड़ते हैं जिनमें जमीन और पेड़-पौधे , फल और सब्जियों इत्यादि के साथ-साथ उनके दिन-प्रतिदिन के कार्यों में उपयोगी पशुधन शामिल हैं। अन्तरराष्ट्रीय मानक औद्योगिक वर्गीकरण ढांचे के अनुसार, कृषि-आधारित उद्योग में खाद्य और पेय, कपड़ा, जूते और परिधान, चमड़ा, रबर, कागज और लकड़ी, तम्बाकू उत्पाद के विनिर्माण/प्रसंस्करण शामिल हैं।

कृषि-आधारित उद्योगों को बढ़ावा क्यों ?

भारत में विश्व की 10वीं सबसे बड़ी कृषि योग्य भूमि 20 कृषि जलवायु क्षेत्र और 15 प्रमुख जलवायु हैं। जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2001 में देश में कुल कृषकों की संख्या 12.73 करोड़ से घटकर 11.88 करोड़ कृषक रह गई है। इसका कारण कृषि प्रसंस्करण और विनिर्माण के

please mark as brainliest thankyou

Similar questions