वाणिज्य में कौन सी गतिविधियां सम्मिलित हैं
Answers
Answered by
2
वाणिज्य के दो प्रधान अंग हैं - दूकानदारी और व्यापार। जब वस्तुओं का क्रयविक्रय किसी एक स्थान या दूकान से होता है, तब उस संबंध के सब कार्य दुकानदारी के अंदर आते हैं। जब वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजकर विक्रय किया जाता है, तब उस संबंध के सब कार्य व्यापार के अंदर समझे जाते हैं। देशी व्यापार में वस्तुओं का क्रयविक्रय एक ही देश के अंदर होता है। विदेशी व्यापार में वस्तुओं का क्रयविक्रय दूसरे देशों के साथ होता है। बड़े पैमाने पर दूर-दूर के देशों से व्यापार के लिए बड़ी पूँजी की आवश्यकता होती है जो सम्मिलित पूँजीवादी कंपनियों और वाणिज्य बैंकोंद्वारा प्राप्त होती है। संसार के भिन्न-भिन्न देशों में संसारव्यापी वाणिज्य में लगे हुए व्यक्तियों ने मिलकर प्रत्येक देश में वाणिज्य मंडलों (Chambers of Commerce) की स्थापना कर ली है। इन मंडलों का प्रधान कार्य देश के वाणिज्य के हितों की सम्मिलित रूप से रक्षा करना और सरकार द्वारा रक्षा करना है। वाणिज्य संबंधी कार्यों का उचित रूप से नियंत्रण करने के लिए प्रत्येक देश की सरकार जो कानून बनाती हैं, वे वाणिज्य विधि कहलाते हैं।
वाणिज्य में सफलता प्राप्त करने के लिए वणिक् को विक्रय कला का व्यावहारिक ज्ञान होना आवश्यक है। उसे हिसाब रखने की पद्धति को भी ठीक तरह से जानना और उपयोग में लाना पड़ता है। अपने कार्यों की जोखिम कम करने के लिए उसे अपने माल का बीमा कराना होता है। इसलिए उसे इस विषय का ज्ञान भी प्राप्त करना पड़ता है। अपने व्यापार को दूर दूर तक देशों में फैलाने के लिए उसे पत्रव्यवहार और विज्ञापनकला का उचित उपयोग करना पड़ता है। वाणिज्य में स्वतंत्र बुद्धि और दृढ़ विश्वास की अत्यंत आवश्यकता है। ईमानदारी द्वारा ही वणिक अपने कार्य की प्रसिद्धि प्राप्त करता है। उसकी बात की सच्चाई उसकी साख को बढ़ाती है, जिससे वह आवश्यक पूँजी आसानी से प्राप्त कर लेता है।
वाणिज्य में सफलता प्राप्त करने के लिए वणिक् को विक्रय कला का व्यावहारिक ज्ञान होना आवश्यक है। उसे हिसाब रखने की पद्धति को भी ठीक तरह से जानना और उपयोग में लाना पड़ता है। अपने कार्यों की जोखिम कम करने के लिए उसे अपने माल का बीमा कराना होता है। इसलिए उसे इस विषय का ज्ञान भी प्राप्त करना पड़ता है। अपने व्यापार को दूर दूर तक देशों में फैलाने के लिए उसे पत्रव्यवहार और विज्ञापनकला का उचित उपयोग करना पड़ता है। वाणिज्य में स्वतंत्र बुद्धि और दृढ़ विश्वास की अत्यंत आवश्यकता है। ईमानदारी द्वारा ही वणिक अपने कार्य की प्रसिद्धि प्राप्त करता है। उसकी बात की सच्चाई उसकी साख को बढ़ाती है, जिससे वह आवश्यक पूँजी आसानी से प्राप्त कर लेता है।
Answered by
0
दुकानदारी और व्यापार |
Explanation:
- धन प्राप्ति के उद्देश्य से किया गया वस्तुओं का क्रय विक्रय ही वाणिज्य कहलाता है।
- यह किसी उत्पादन या व्यवसाय कब है भाग होता है जो उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं कि उनके उत्पादकों या उपभोक्ताओं के बीच विनिमय का संबंध दर्शाता है।
- वाणिज्य के मुख्य दो दो हम होते हैं जिन्हें हम दुकानदारी और व्यापार के नाम से जानते हैं।
और अधिक जानें:
व्यापार, वाणिज्य से किस प्रकार भिन्न है ?
brainly.in/question/12540975
Similar questions