१) वाणिज्यपत्र के पाँच भेद स्पष्ट किजीये! BA/bcom
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3) वाणिज्य पत्रों के भेद
व्यापारिक पत्र व्यापार कार्य से सम्बन्धित होते हैं। (1) मूल्य की पूछताछ और मूल्य बताने वाले पत्र (2) क्रयादेश के पत्र (3) सन्दर्भ के पत्र (4) सूचनादायी पत्र (5) भुगतानसम्बन्धी पत्र (6) शिकायती पत्र (7) एजन्सीसम्बन्धी पत्र (8) बैंक, रेल, यातायात कंपनी से सम्बन्धित पत्र (9) आवेदन पत्र आदि। इनमें से का स्वरूप देखेंगे। कुछ पत्रों
(4) मूल्य की पूछताछ का और उसके उत्तर का पत्र
वस्तुओं की आपूर्ति करनेवाले बडे व्यापारी से अन्य व्यापारी मूल्य की पूछताछ के लिए अथवा मूल्यसूचि मंगाने के लिए जो पत्र भेजते हैं उन्हे मूल्य की पूछताछ के पत्र कहा जाता है। इन पत्रों में माल का वर्णन, माल खरीदने की मात्रा, रकम की अदायगी आदि बातों के बारे में स्पष्टता से लिखना चाहिए।
(5) क्रयादेश के पत्र
माल मंगाने के लिए जो पत्र भेजे जाते हैं उन्हें क्रयादेश के पत्र कहा जाता है। इनमें माल के सम्बन्ध में सभी बातें स्पष्ट रूप से लिखनी
चाहिए। माल का प्रकार मात्रा अथवा संख्या श्रेणी, समावेष्टन / पैकिंग, भुगतान की अवधि और विधि तथा अन्य आवश्यक बातों
का विवरण इसमें होना चाहिए।
व्यापारी की साख तथा आर्थिक स्थिति का परिचय पाने के लिए सन्दर्भ के पत्र लिखे जाते हैं। इन्हें व्यापारिक हवाले के पत्र भी कहा जाता हैं।
जब कोई नया ग्राहक उधार माल मंगवाता है तब उसकी आर्थिक स्थिती की जानकारी आवश्यक होती है। तब माल भेजनेवाला व्यापारी उससे सन्दर्भपत्र की माँग करता है। इस पत्र की भाषा विनम्र होनी चाहिए। माल खरीदनेवाला व्यापारी इसके उत्तर में अन्य प्रतिष्ठित व्यापारियों के नाम, पते भेज देता है, जो उसकी साख का परिचय दे सकते हैं। विक्रेता आवश्यकता के अनुसार उनसे पत्रव्यवहार क
सकता है। इस प्रकार सन्दर्भपत्र की प्रक्रिया में चार प्रकार के
क्रम होता है।
(1) विक्रेता व्यापारी द्वारा सन्दर्भ पत्र की मांग करना,
(2) ग्राहक व्यापारी का सन्दर्भ की सूचना देना, (3) सूचना में प्राप्त व्यापारियों से विक्रेता व्यापारी का सन्दर्भ की
माँग करना, और
सन्दर्भ दिये हुए व्यापारी द्वारा जानकारी देना। यह जानकारी अनुकूल, प्रतिकूल, या तटस्थ भी हो सकती है। इन्हें क्रम से देखेंगे।