वाणी की मधुरता के साथ बिना पूर्ण व्यवहार की भी आवश्यकता है क्यों है
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ax wc ess yes it uc oh oh us egg wc wc uc hnx if us us ra ra was uc jjvv if
अहम् को छोड़ कर मधुरता से सुवचन बोलें जाएँ तो जीवन का सच्चा सुख मिलता है। कभी अंहकार में, तो कभी क्रोध और आवेश में कटु वाणी बोल कर हम अपनी वाणी को तो दूषित करते ही हैं, सामने वाले को कष्ट पहुंचाकर अपने लिए पाप भी बटोरते हैं, जो कि हमें शक्तिहीन ही बनाते हैं।
किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व की निर्णायक भूमिका होती है और व्यक्तित्व विकास के लिए भाषा का बहुत महत्त्व होता है, परन्तु इसके साथ-साथ वाणी की मधुरता भी उतनी ही आवश्यक है।
बड़ो से हमेशा सुनते आएं हैं कि वह वाणी ही हैं जिससे मनुष्य के स्वाभाव का अंदाज़ा होता है। ईश्वर ने हमें धरती पर प्रेम फ़ैलाने के लिए भेजा है, और यही हर धर्म का सन्देश हैं। प्रेम की तो अजीब ही लीला है, प्रभु के अनुसार तो स्नेह बाँटने से प्रेम बढ़ता है...