वाणी की मधुरता सामने वाले का मन जीत लेती है इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए हिंदी
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मधुर वाणी एक प्रकार का वशीकरण है। जिसकी वाणी मीठी होती है, वह सबका प्रिय बन जाता है। प्रिय वचन हितकारी और सबको संतुष्ट करने वाले होते हैं। फिर मधुर वचन बोलने में दरिद्रता कैसी? वाणी के द्वारा कहे गए कठोर वचन दीर्घकाल के लिए भय और दुश्मनी का कारण बन जाते हैं।
इसीलिए साधारण भाषा में भी एक कहावत है कि गुड़ न दो, पर गुड़ जैसा मीठा अवश्य बोलिए, क्योंकि अधिकांश समस्याओं की शुरुआत वाणी की अशिष्टता और अभद्रता से ही होती है। सभी भाषाओं में आदरसूचक शिष्ट शब्दों का प्रयोग करने की सुविधा होती है। इसलिए हमें तिरस्कारपूर्ण अनादरसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमें वाणी की मधुरता का दामन नहीं छोडऩा चाहिए। मीठी वाणी व्यक्तित्व की विशिष्टता की परिचायक है। हमारी जीवन-शैली शहद के घड़े के ढक्कन के समान होनी चाहिए। मीठी वाणी जीवन के सौंदर्य को निखार देती है और व्यक्तित्व की अनेक कमियों को छिपा देती है, किंतु हमें इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि अपने स्वार्थ के लिए हमें चापलूसी या दूसरों को ठगने के लिए मीठी वाणी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
हमारा हृदय निर्मल होना चाहिए और वाणी में एकरूपता होनी चाहिए। कोई व्यक्ति कितना भी प्रकांड विद्वान क्यों न हो, लेकिन उसे अल्पज्ञानी का उपहास कभी भी नहीं उड़ाना चाहिए। जिस प्रकार जहरीले कांटों वाली लता से लिपटा होने पर उपयोगी वृक्ष का कोई आश्रय नहीं लेता, उसी प्रकार दूसरों का उपहास करने और दुर्वचन बोलने वाले को कोई सम्मान नहीं देता। उपहास में कहे गए द्रौपदी के वचन महाभारत के युद्ध का कारण बना।
एक विद्वान कहते हैं कि कटु टिप्पणियों के कारण जिंदगी में बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। कुछ लोग मामूली कहासुनी होने पर क्षुब्ध हो जाते हैं, पर हममें सहनशीलता होनी चाहिए। प्रतिकार की भावना का त्यागकर कलह रूपी अग्नि का परित्याग करना चाहिए। एक सुभाषित में भी कहा गया है कि जो सदा सुवचन बोलता है, वह समय पर बरसने वाले मेघ की तरह सदा प्रशंसनीय व जनप्रिय होता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हम जिन शब्दों का उच्चारण करते हैं, उनकी गूंज वातावरण के जरिये सामने वाले व्यक्ति के दिमाग में समा जाती है। अगर हम मृदु वचन बोलेंगे तो इनका प्रभाव दूसरे व्यक्ति पर अच्छा पड़ेगा।
इसीलिए साधारण भाषा में भी एक कहावत है कि गुड़ न दो, पर गुड़ जैसा मीठा अवश्य बोलिए, क्योंकि अधिकांश समस्याओं की शुरुआत वाणी की अशिष्टता और अभद्रता से ही होती है। सभी भाषाओं में आदरसूचक शिष्ट शब्दों का प्रयोग करने की सुविधा होती है। इसलिए हमें तिरस्कारपूर्ण अनादरसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमें वाणी की मधुरता का दामन नहीं छोडऩा चाहिए। मीठी वाणी व्यक्तित्व की विशिष्टता की परिचायक है। हमारी जीवन-शैली शहद के घड़े के ढक्कन के समान होनी चाहिए। मीठी वाणी जीवन के सौंदर्य को निखार देती है और व्यक्तित्व की अनेक कमियों को छिपा देती है, किंतु हमें इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि अपने स्वार्थ के लिए हमें चापलूसी या दूसरों को ठगने के लिए मीठी वाणी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
हमारा हृदय निर्मल होना चाहिए और वाणी में एकरूपता होनी चाहिए। कोई व्यक्ति कितना भी प्रकांड विद्वान क्यों न हो, लेकिन उसे अल्पज्ञानी का उपहास कभी भी नहीं उड़ाना चाहिए। जिस प्रकार जहरीले कांटों वाली लता से लिपटा होने पर उपयोगी वृक्ष का कोई आश्रय नहीं लेता, उसी प्रकार दूसरों का उपहास करने और दुर्वचन बोलने वाले को कोई सम्मान नहीं देता। उपहास में कहे गए द्रौपदी के वचन महाभारत के युद्ध का कारण बना।
एक विद्वान कहते हैं कि कटु टिप्पणियों के कारण जिंदगी में बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। कुछ लोग मामूली कहासुनी होने पर क्षुब्ध हो जाते हैं, पर हममें सहनशीलता होनी चाहिए। प्रतिकार की भावना का त्यागकर कलह रूपी अग्नि का परित्याग करना चाहिए। एक सुभाषित में भी कहा गया है कि जो सदा सुवचन बोलता है, वह समय पर बरसने वाले मेघ की तरह सदा प्रशंसनीय व जनप्रिय होता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हम जिन शब्दों का उच्चारण करते हैं, उनकी गूंज वातावरण के जरिये सामने वाले व्यक्ति के दिमाग में समा जाती है। अगर हम मृदु वचन बोलेंगे तो इनका प्रभाव दूसरे व्यक्ति पर अच्छा पड़ेगा।
anmol6433:
hope it may help you
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Answer: ' वाणी की मधुरता सामने वाले का मन जीत लेता है ' । इस तथ्य पर विचार ।
Explanation:
वाणी की शक्ति मनुष्य के लिए वरदान और अभिशाप दोनों है । वास्तव में मधुर वचन औषधि के समान होते हैं । जिस प्रकार एक रोगी का रोग दूर करने के लिए उसे औषधि दी जाती है उसी प्रकार व्यक्ति कितनी परेशानियों से गिरा और तनाव में दहाड़ रहा है । परंतु किसी मधुर वचन से उसकी परेशानी और तनाव दूर करने में सहायता मिल सकती है । भाषा में शक्ति और ताकत होती है । वहीं कटु भाषा व्यक्ति अपने ही घर को पराया बना देता है । मानव संसार में शब्दों का बड़ा महत्व है । हमें एक एक शब्द सोच समझकर बोलना चाहिए । मीठी वाणी सफलता की ऊंची होती है । हमें सदैव मीठा और उचित बोलना चाहिए ।
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