वाणी की मधुरता से दुश्मन का भी मनजीत लेता है इस पर अपने विचार लिखिए इन हिंदी
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आर्यिका स्वस्ति भूषण माता ने कहा कि गाय घास खाती है, लेकिन दूध मीठा देती है। जबकि इंसान मीठा खाता है पर कड़वा बोलता है। वाणी में मिठास सुंदर व्यक्तित्व की पहचान होती है। व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान उसके बातचीत करने के ढंग से होती है। भले ही कोई व्यक्ति कितना ही सुंदर क्यों न हो, वाणी में मिठास नहीं तो वह कभी भी किसी को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा मीठी व मधुर वाणी बोलना चाहिए। आर्यिका स्वस्ति भूषण माता मंगलवार को जैन भवन में आयोजित अनुष्ठान व प्रवचन कार्यक्रम में श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रही थीं। अनुष्ठान एवं प्रवचन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि इंसान की पहचान उसके सुंदर तन अथवा वस्त्रों से नहीं होती है। उसकी पहचान उसके सुंदर विचार व वाणी से होती है।
उन्होंने कहा कि सामान्य दिखने वाला व्यक्ति यदि सौम्य है और उसकी वाणी में मिठास है तो वह सहज ही सबको अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। उचित-अनुचित का ज्ञान रखकर बोलने से आपका व्यक्तित्व प्रभावशाली बन सकता है। अहम छोड़कर मधुरता से सुवचन बोलें तो जीवन का सच्चा सुख मिल जाएगा। कभी अंहकार में तो कभी क्रोध और आवेश में कड़वे वचन बोल कर हम अपनी वाणी को तो दूषित करते ही हैं, सामने वाले को भी कष्ट पहुंचाकर अपने लिए पाप भी बटोरते हैं, जो हमें शक्तिहीन बनाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व की निर्णायक भूमिका होती है। व्यक्तित्व विकास के लिए भाषा का बहुत महत्त्व होता है, लेकिन इसके साथ-साथ वाणी की मधुरता भी उतनी ही आवश्यक है। जैन भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने अनुष्ठान किए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्राविकाएं उपस्थित थीं।