वाणी कैसी होनी चाहिए,
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वेद में एक वाक्य है कि वाणी की मधुरता से ही सभी को मित्र बनाया जा सकता है तथा वाणी की का काकशृता से सभी को शत्रु बनाया जा सकता है।
मधुर वाणी एक प्रकार का वशीकरण है। जिसकी वाणी मीठी होती है वह सबका प्रिय बन जाता है। प्रिय वचन हितकारी व सब को संतुष्ट करने वाले होते है।
इसलिए साधारण भाषा में भी एक कहावत है सबको गुड मत दो लेकिन गुड जैसा मीठा अवश्य बोलो। क्योंकि अधिकांश समस्याओं की शुरुआत वाणी की अभद्रता से ही होती है।
अतः में सभी भाषाओं मैं आदर सूचक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमें वाणी की मधुरता नहीं छोड़नी चाहिए। वाणी से ही व्यक्ति की पहचान होती है।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि हम जिन शब्दों का उच्चारण करते हैं उनकी गूंज वातावरण के जरिए सामने वाले व्यक्ति के दिमाग में समा जाती है। अगर हम मीठे बचन बोलेंगे तो दूसरे व्यक्ति पर उसका प्रभाव अच्छा पड़ेगा।
कठोर वाणी के कारण बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं अतः हमें आवश्यक है कि हमेशा मीठी वाणी का प्रयोग करना चाहिए।
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@GauravSaxena01
मधुर वाणी एक प्रकार का वशीकरण है। जिसकी वाणी मीठी होती है वह सबका प्रिय बन जाता है। प्रिय वचन हितकारी व सब को संतुष्ट करने वाले होते है।
इसलिए साधारण भाषा में भी एक कहावत है सबको गुड मत दो लेकिन गुड जैसा मीठा अवश्य बोलो। क्योंकि अधिकांश समस्याओं की शुरुआत वाणी की अभद्रता से ही होती है।
अतः में सभी भाषाओं मैं आदर सूचक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमें वाणी की मधुरता नहीं छोड़नी चाहिए। वाणी से ही व्यक्ति की पहचान होती है।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि हम जिन शब्दों का उच्चारण करते हैं उनकी गूंज वातावरण के जरिए सामने वाले व्यक्ति के दिमाग में समा जाती है। अगर हम मीठे बचन बोलेंगे तो दूसरे व्यक्ति पर उसका प्रभाव अच्छा पड़ेगा।
कठोर वाणी के कारण बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं अतः हमें आवश्यक है कि हमेशा मीठी वाणी का प्रयोग करना चाहिए।
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@GauravSaxena01
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“वाणी में इतनी शक्ति होती है कि कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है।”
मनुष्य का भाषा पर विशेष अधिकार है। भाषा के कारण ही मनुष्य इतनी उन्नति कर सका है। हमारी वाणी में मधुरता का जितना अधिक अंश होगा हम उतने ही दूसरों के प्रिय बन सकते हैं। हमारी बोली में माधुर्य के साथ-साथ शिष्टता भी होनी चाहिए।अगर हम मृदु वचन बोलेंगे तो इनका प्रभाव दूसरे व्यक्ति पर अच्छा पड़ेगा।मीठी वाणी जीवन के सौंदर्य को निखार देती है और व्यक्तित्व की अनेक कमियों को छिपा देती है।
हमारी वाणी ही हमारी शिक्षा-दीक्षा, कुल की परंपरा और मर्यादा का परिचय देती है।कटु वाणी आदमी को रुष्ट कर सकती है । वाणी के द्वारा कहे गए कठोर वचन दीर्घकाल के लिए भय और दुश्मनी का कारण बन जाते हैं।वाणी किसी भी स्थिति में कटु एवं अशिष्ट नहीं होनी चाहिए।
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