वाणी में शहद घोलना सीख लीजे,
जस प्यार से बोलना सीख लीजे।
चुप रहने के, यारों बड़े फायदे हैं,
जुबाँ वक्त पर खोलना सीख लीजे।
मर, जीभ
लडाई
कुछ कहने से पहले जरा सोचिए,
खयालों को खद तौलना सीख लीजे ।
विचारी
तू-तड़ाक हो या फिर हो तू-तू मैं-मैं,
अपने आपको टोकना सीख लीजे।
रोकना
पटाखे की तरह फटने से पहले,
रोशनी के रंग घोलना सीख लीजे।
वाणी
कटु वचन तो सदा बोते हैं कॉट शूल
मीठी बोली के गुल रोपना सीख लीजे
गुना
बात बेबात कोई चुभने लगे तो,
बदलकर उसे मोड़ना सीख लीजे
बिना वात
ये किसने कहा हॉटसीकर के नोटो.
जरूरत पे मुंह खोलना सीख लीजे।
कवीता का अथ लिखो
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anwer my question plzzzzzz
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कविता का अर्थ है निम्नलिखित है।
- प्रस्तुत पंक्तियां " जरा प्यार से बोलना सीख लीजिए " कविता से ली गई है। कवियित्री गोदावरी तांबेकर ने मधुर वाणी बोलने का महत्व बताया है।
- कवियित्री सभी लोगों से मीठे स्वर में बात करने के लिए कहती है। वे कहती है कि मीठा बोलो, जब भी कुछ बोलना हो प्यार से ही बोलो।
- कवियित्री कहती है कि कम बोलो तथा जब आवश्यकता हो तब ही बोलो।
- जब कोई सलाह मांगे तब ही सलाह दो, बिना मांगे सलाह मत दो।
- लेखिका चुप रहने के लाभ बताती है एक तो चुप रहने से समय की बचत होती है तथा ऊर्जा बचती है।
- कवियित्री कहती है कि कड़वे शब्द सदा कांटे की तरह चुभते है जबकि मीठी बोली बोलने से फूल खिलते है इसलिए पहले फूल खिलाना सीख लीजिए।
- यदि किसी की कही हुई कोई बात बुरी भी लगी हो तो उसे मोड़ना सीख लीजिए।
- होठों को सी लीजिए तथा केवल जरूरत पड़ने पर ही मुंह खोलिए।
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