वाणी मे शहद खोलना सीखा लीजे, जरा प्यार से बोलना सीख लीजे इन काव्य पक्तियो का भावार्थ लिखkho
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वाणी मे शहद खोलना सीखा लीजे, जरा प्यार से बोलना सीख लीजे इन काव्य पक्तियो का भावार्थ लिखkho
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वाणी मे शहद खोलना सीखा लीजे, जरा प्यार से बोलना सीख लीजे।
इन काव्य पक्तियो का भावार्थ लिखिये।
वाणी मे शहद खोलना सीखा लीजे, जरा प्यार से बोलना सीख लीजे।
भावार्थ : इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि हे मानव तू अपनी वाणी में शहद जैसी मिठास को घोलना सीख। जब तू सबसे मीठा बोल। मधुर भाषी बन। जब तू दूसरों से मीठे स्वर में बात करेगा तो सामने वाला भी वैसे ही मीठे स्वर में उत्तर देगा।
प्रेम का जवाब हमेशा प्रेम से ही मिलता है। इसलिए जब भी बोलो प्यार से बोलो। कम बोलो लेकिन हमेशा प्यार से बोलो। हर समय बोलना जरूरी नहीं लेकिन जब भी बोलो, प्यार से बोलो, मीठा बोलो।
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