Hindi, asked by pk9292385, 1 month ago

वाणी रसवती यस्य, यस्य यस्य श्रमवती क्रिया। लक्ष्मीः दानवती यस्य, सफलम् तस्य जीवितम्॥ ॥ यस्य नास्ति स्वयम् प्रज्ञा, शास्त्रम् तस्य करोति किम्। लोचनाभ्याम् विहीनस्य दर्पणः किम् करिष्यति॥ शैले शैले न माणिक्यम्, मौक्तिम् न गजे गजे। साधवः नहि सर्वत्र, चन्दनम् न वने वने॥ चन्दनं शीतलम् लोके, चन्दनादपि चन्द्रमाः। चन्द्रचन्दनयोः मध्ये, शीतला साधुसङ्गतिः॥ शरदि न वर्षति गर्जति, वर्षति वर्षासु निःस्वनः मेघः। नीचः वदति न कुरुते, न वदति सुजनः करोत्येव।। translate in hindi​

Answers

Answered by mrgoodb62
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Explanation:

वाणी रसवती यस्य, यस्य यस्य श्रमावती क्रिया। लक्ष्मीः दानवती यश्य, सपम् तसय जीवनम्॥ मैं यस्य नस्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोती किम। लोनाभ्याम् विविषय दर्पणः किम् करिष्यति शैल शैले ना मान

Answered by akshitapokhriyalg9
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Answer:

अर्थात:- जिस मनुष्य की वाणी मीठी है, जिसका कार्य परिश्रम से युक्त है, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त होता है, उसका जीवन सफल है।जिस मनुष्य के पास स्वयं का विवेक नहीं है, शास्त्र उसका क्या करेंगे। जैसे नेत्रविहीन व्यक्ति के लिए दर्पण व्यर्थ है।प्रत्येक पर्वत पर अनमोल रत्न नहीं होते, प्रत्येक हाथी के मस्तक में मोती नहीं होता। सज्जन लोग सब जगह नहीं होते और प्रत्येक वन में चंदन नही पाया जाता ।

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