वीणावादिनि वर दे।
वर दे, वीणा वादिनि वर दे।
प्रिय स्वतन्त्र रव
अमृत मन्त्र नव
भारत में भर दे।
काट अन्ध-उर के बन्धन-स्तर,
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर,
कलुष-भेद, तम हर, प्रकाश भर,
जगमग जग कर दे।
नव गति, नव लय, ताल-छन्द नव,
नवल कण्ठ, नव जलद-मन्द्र रव,
नव नभ के नव विहगवृन्द को,
नव पर नव स्वर दे।
Meaning please....
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कविता कोश भारतीय काव्य को एक जगह संकलित करने के उद्देश्य से आरम्भ की गई एक अव्यावसायिक, सामाजिक व स्वयंसेवी परियोजना है।
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this is poem of goddesses sawarti from my side
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