वापस घर आ फाटक से पहले ही गाड़ी रोक दी। उतरकर गेट तक आया। संतरी को हिदायत दी। यह सैलूट - वैलूट नहीं,बस धीरे से गेट खोल दो। वह आवाज करे तो उसे बंद मत करो, खुला छोड़ दो। बाबूजी का डर। वह खट -पट सैलूट मारेगा तो आवाज होगी और फिर गेट की आवाज से बाबू जी को हम लोगों के लौटने का अंदाजा हो जाएगा। वे बेकार में पूछताछ करेंगे।अभी बात ताजा है। सुबह तक बात में पानी पड़ चुका होगा। संतरी से जैसा कहा गया,उसने किया। देबे पैर पीछे किचन के दरवाजे से अंदर घुसा। जाते ही अम्मा मिलीं। - पूछा- बाबू जी आ गए?कुछ पूछा तो नहीं? बोली- हाँ,आ गए। पूछा था। मैंने बता दिया। आगे कुछ कहने की हिम्मत नहीं पड़ी,यह जानने -सुनने की कि बाबू जी ने क्या कहा फिर हिदायत दी - सुबह किसी को कमरे में मत भेजिएगा। रात देर हो गई। सुबह देर तक सोना होगा। सुबह साढ़े पाँच - पौने छह बजे किसी ने दरवाजा खटखटाया। नींद टूटी।मैंने बड़ी तेज आवाज में कहा - देर रात को आया हूँ,सोना चाहता हूँ, सोने दो। यह सोचकर कि कोई नौकर चाय लेकर आया होगा जगाने।
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Sorry I didn't know that answer
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