विपति के समय ही सच्चे मित्र की परख होती है। श्रीकृष्ण सुदामा की क्षेत्री
इस कसौटी पर कहाँ तक सिद्ध होती है ?
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Answers
Step-by-step explanation:
But in a moment, you might find that your paradise can degenerate into a hid-
eous nightmare. That is bound to happen when technology reaches evil minds
or when technology is misused to stoke the cinders of greed and avarice.
Answer:
सच्चा मित्र की पहचान विपत्ति के समय ही होती है। विपत्ति में जो आपका साथ दे वही सच्चा मित्र है। जो विपत्ति में साथ छोड़ जाए वह भी मित्र नहीं हो सकता है। भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा की सहायता कर मित्रता निभाई। यह विचार सुश्री गुंजन वशिष्ठ ने मंगलवार को जटार गली लक्ष्मीगंज में भागवत कथा सुनाते हुए व्यक्त किए।
गुंजन वशिष्ठ ने कहा कि संसार में मित्रता हो तो सुदामा-श्रीकृष्ण जैसी। सुदामा जी निर्धन थे न कि दरिद्र, वे संतोषी ब्राह्मण थे। दरिद्र तो वास्तव में वे मनुष्य हैं जिनके जीवन में भजन-सत्संग का अभाव है। इसके उपरांत उन्होंने श्रीकृष्ण सुदामा की कथा विस्तार से सुनाई।
भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्म, नंदोत्सव में सजा कमल के फूलों का पालना: सनातन धर्म मंदिर प्रांगण में चल रही भागवत कथा में मंगलवार को पं. धीरेंद्र शास्त्री ने वामन अवतार आैर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा प्रस्तुत की। श्रीकृष्ण जन्म की लीला पर श्रद्धालु आनंद से झूम उठे। शाम को यहां ठाकुरजी का नंदोत्सव मना। इसमें कमल के फूलों से सजाए गए पालने में ठाकुरजी को झुलाया गया। इसी के साथ यमुनेश नागर, ब्रजेश नागर आैर साथियों ने पुष्टिमार्गीय परंपरा के अनुसार श्रीनाथ जी के पदों की झांझ, पखावज के साथ संगीतमय प्रस्तुति की।