Hindi, asked by bhumikasone, 5 months ago

विपत्ति मनुष्य की सर्वोत्तम गुरु है पल्लवन करो?

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Answered by cprem8708
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Explanation:

प्रत्येक मनुष्य सुख सुविधा को श्रेष्ठ मानता है उसका स्वागत करता है किंतु सच तो यह है कि मनुष्य व्यक्तित्व उसका सच्चा विकास विपत्तियों में में ही होता है विपत्ति मानव को कर्मठ और कर्तव्य परायण बनाती है विपत्तियों से गिरे हुए व्यक्ति स्वयं की साहसिक को पल्लवित करते हुए दृढ़ता पूर्वक उनका सामना करता है जिस व्यक्ति ने जीवन में कभी विपत्तियों की कटुता का अनुभव नहीं किया वह जीवन के सच्चे स्वरूप से वंचित रह गया विश्व में इतिहास में महापुरुषों के जीवन चरित्र इस बात से ज्वलन्त प्रमाण है कि उन्हें अपने जीवन मार्ग में अनेक विपत्तियों का सामना करके अंततोगत्वा उन पर विजय प्राप्त कि । विपत्ति मनुष्य जीवन की सहनशक्ति में अपरिमित वृद्धि करती है विद्वानों ने इस संबंध में ठीक ही कहा है कि विपत्ति में धमन भट्टीयो में तपने पर ही मानव का जीवन कुंदन बन सकता है विपत्ति में ही अपने पराए का अनुभव होता है विपत्ति मनुष्य को एक अच्छे गुरु के सामान अनुभव प्रदान करती हैं किसी ने ठीक ही कहा है कि विपत्ति मनुष्य की श्रेष्ठ गुरु है

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