Geography, asked by akshaychilgonda123, 1 year ago

वारा म्हणजे काय???????​

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Answered by amritaraj
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Answer:

Explanation:

भूपृष्ठावरून वाहणाऱ्या हवेस वारा असे म्हणतात. पृथ्वीवरील वायूदाबातील फरकामुळे वातावरणात हालचाली होतात.जास्त दाबाच्या प्रदेशाकडून कमी दाबाच्या प्रदेशाकडे हवा वाहू लागून वारे निर्माण होतात. याला पवन असेही म्हणतात.

वाऱ्यामुळे ढग वाहून नेण्यास, पाऊस पडण्यास, वस्तू वाळण्यास मदत होते. तसेच वादळे, चक्रीवादळे होतात. वाऱ्यावर पवनचक्की चालते.

Answered by Anonymous
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गतिशील वायु को पवन (Wind) कहते हैं। यह गति पृथ्वी की सतह के लगभग समानांतर रहती है। पृथ्वी से कुछ मीटर ऊपर तक के पवन को सतही पवन और २०० मीटर या अधिक ऊँचाई के पवन को उपरितन पवन कहते हैं।

जब किसी स्थान और ऊँचाई के पवन का निर्देश करना हो तब वहाँ के पवन की चाल और उसकी दिशा दोनों का उल्लेख होना चाहिए। पवन की दिशा का उल्लेख करने में जिस दिशा से पवन बह रहा है उसका उल्लेख दिक्सूचक के निम्नलिखित १६ संकेतों से करते हैं :

उ (N), उ उ पू (N N E), उ पू (N E), पू उ पू (E N E), पू (E), पू द पू (E S E), द पू (S E), द द पू (S S E), द (S), द द प (S S W), द प (S W), प द प (W S W), प (W), प उ प (W N W), उ प (N W) और उ उ प (N N W)।

अधिक यथार्थता (precision) से पवन की दिशा बताने के लिए यह दिशा अंशों में व्यक्त की जाती है। जब पवन दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में परिवर्तित होता है (जैसे उ से उ पू और पू), तब ऐसे परिवर्तन को पवन का दक्षिणावर्तन और वामावर्त दिशा में परिवर्तन (जैसे उ से उप और प) का विपरीत पवन कहते हैं।

वेधशाला में पवनदिक्सूचक नामक उपकरण हवा की दिशा बताता है। इसका नुकीला सिरा हमेशा उधर रहता है जिधर से हवा आ रही होती है। पवन का वेग मील प्रति घंटे, या मीटर प्रति सेकंड, में व्यक्त किया जाता है। सतह के पवन को मापने के लिए प्राय: प्याले के आकार का पवनमापी काम में आता है। पवनवेग का लगातार अभिलेख करने के लिए अनेक उपकरण काम में आते हैं, जिनमें दाबनली एवं पवनलेखक (Anemograph) महत्वपूर्ण एवं प्रचलित हैं। भिन्नःभिन्न ऊँचाई के उपरितन पवन का निर्धारण करने के लिए हाइड्रोजन से भरा गुब्बारा उड़ाया जाता है और ऊपर उठते हुए तथा पवनहित बैलून की ऊँचाई और दिगंश (azimuth) ज्ञात करने के लिए इसका निरीक्षण सामान्य थियोडोलाइट (theodolite) या रेडियो थियोडोलाइट से करते हैं और तब बैलून की उड़ान का प्रक्षेपपथ (trajectory) तैयार किया जाता है और प्राय: बैलून के ऊपर उठने के वेग की दर की कल्पना करके, प्रक्षेपपथ के विभिन्न बिंदुओं से बैलून की संगत ऊँचाई की गणना की जाती है। प्रक्षेपपथ से, इच्छित ऊँचाई पर, पवन की चाल और दिशा ज्ञात की जाती है।

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