वीर पंचनद के सपूत मातृभूमि के सो गए प्रतारणा की थपकी लगी उन्हें छल-बलिवेदी पर आज सब सो गए। रूप भरी, आशा भरी, यौवन. अधीर भरी पुतली प्रणयिनी का बाहुपाश खोलकर दूध भरी दूधी सी दुलार भरी माँ की गोद, सूनी कर सो गए।
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वीर पंचनंद के सपूत मातृभूमि के सो गए प्रतारणा की थपकी लगी हुई है चैलेंज दे दी पर आज सब सो गए रूप भरी आशा भवन अधिकारी पुतली का बहू पास खोलकर दूध खरीद उदशी दुलार भरी मां की गोद सूनी कर सो गए
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