Hindi, asked by luckyshakya043, 1 month ago

वीर रस की परिभाषा लिखते हुए एक उदाहरण लिखिए​

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Answered by moksh0903
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Answer:

please mark it as brainlist answer

Explanation:

वीर रस-उत्साह स्थायी भाव जब विभावों, अनुभावों और संचारी भावों से पुष्ट होकर आस्वादन के योग्य होता है, तब उसे है, तब उसे वीर रस कहते हैं। वीर रस कहते हैं। उत्साह के चार क्षेत्र पाए गए हैं-युद्ध, धर्म, दया और दान। जब इन क्षेत्रों में उत्साह रस की कोटि तक पहुँचता

उदाहरण- युद्धवीर-शत्रु के नाश का उत्साह।

दानवीर-दीन की दयनीय स्थिति अथवा उसके कष्ट निवारण का उत्साह।। धर्मवीर-धर्म स्थापना अथवा अधर्म नाश का उत्साह।

दयावीर-दीन-दुखियों की पीड़ा दूर करने, उनकी सहायता करने का उत्साह मैं सत्य कहता हूँ सखे सुकुमार मत जानो मुझे।

यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे।

है और की तो बात ही क्या गर्व मैं करता नहीं।

मामा तथा निज तात से भी समर में डरता नहीं।

Answered by stardhruv69
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Answer:

शत्रु का उत्कर्ष, दीनों की दुर्दशा, धर्म की हानि आदि को देखकर इनको मिटाने के लिए किसी के हदय में उत्साह नामक भाव जागृत हो और वही विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भावों के संयोग, से रस रूप में परिणत हो तब 'वीर रस होता है।

रघुवीर से आदेश ले युद्धार्थ वे सजने लगे ।

Explanation:

स्पष्ट रुप से नहीं समझाया गया।

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