वीर रस का स्थाई भाव क्या है
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वीर रस: वीर रस का स्थाई भाव उत्साह है। श्रृंगार के साथ स्पर्धा करने वाला वीर रस है। श्रृंगार, रौद्र तथा वीभत्स के साथ वीर को भी भरत मुनि ने मूल रसों में परिगणित किया है।
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वीर रस: शौर्य पराक्रम यह इस रस का स्थायीभाव है.
Explanation:
examples in marathi= 1) उठा राष्ट्रवीर हो सुसज्ज व्हा उठा चला
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