Social Sciences, asked by neerajyadav0281, 8 months ago


राष्ट्रवाद के विकास मे आने
वाली बाधाओं को दूर करने
बताइए
के उपाय​

Answers

Answered by sudhanshup999
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Answer:

इसमें सन्देह नहीं की राष्ट्रीयता की शिक्षा व्यक्ति में राष्ट्रीयता की भावना विकसित करती हैं, परन्तु आज के अंतर्राष्ट्रीय युग में इस प्रकार की शिक्षा कुछ घातक भी सिद्ध हो रही है। राष्ट्रीयता की शिक्षा में गुणों के साथ-साथ कुछ निम्नलिखित दोष भी है –

(1) संकुचित राष्ट्रीयता का विकास – राष्ट्रीयता की शिक्षा बालकों में संकुचित राष्ट्रीयता का विकास करती है। इस प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो आँख भींचकर राष्ट्र उद्देश्यों का पालन करते रहे तथा उसकी सेवा करते हुए अपने जीवन को अर्पण कर दें। ऐसी संकुचित भावना के विकसित हो जाने से देश के नागरिक अपने ही राष्ट्र को संसार का सबसे महान राष्ट्र समझने लगते हैं। रसल का मत है – “ बालक तथा बालिकाओं को यह सिखाया जाता है कि उसकी सबसे बड़ी भक्ति उस राज्य के प्रति है जिससे वे नागरिक हैं तथा उस राज्यभक्ति का धर्म यह है कि सरकार जैसा कहे वैसा होना चाहिये। उनको इसलिए झूठा इतिहास, राजनीति तथा अर्थशास्त्र समझाया जाता है कि कहीं वे अंधे राज्य भक्ति के पाठ पर मुक्ता-चीनी न करें। अपने देश के नहीं किन्तु दूसरे देशों के बुरे कारनामों का ज्ञान कराया जाता है जबकि सत्य यह है प्रत्येक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के साथ अन्याय करता है।”

(2) व्यक्ति की स्वतंत्रता की उपेक्षा – राष्ट्रीयता की शिक्षा व्यक्ति के विकास को लक्ष्य न मानकर उसे राष्ट्र की उन्नति का साधन बना देती है। इससे राष्ट्र के सभी लोग जाती-पाति, रंग-रूप तथा लिंग के भेद-भावों को भूल जाते हैं एवं उनमें कर्तव्यपरायणता, सेवा, आज्ञा-पलान तथा बलिदान एवं राष्ट्र के प्रति असीम श्रधा जैसे गुण विकसति हो जाते हैं। संकुचित राष्ट्रीयता के इस विकास में नागरिकों का अपना निजित्व कुण्ठित जा जाता है तथा केवल राष्ट्र ही व्यक्ति का सब कुछ बन जाता है जिससे उसका समुचित विकास नहीं हो पाता। इस प्रकार की शिक्षा मनोविज्ञान की अवहेलना करती है तथा जनतंत्र के भी विरुद्ध है।

(3) कट्टरता का विकास – राष्ट्रीय शिक्षा नागरिकों में कट्टरता का विकास करके उन्हें अपने देश के लिए बलिदान होना सीखती है। ऐसी शिक्षा का उद्देश्य ही यह है कि चाहे अपने देश के हित में लिए बलिदान की क्यों न होना पड़े तो भी पीछे नहीं हटना चाहिये। इटली के फासिस्टों ने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए शिक्षक की व्यवस्था की थी। इस प्रकार की कट्टरता अवांछनीय है। इसका परिणाम यही होगा कि देश में कुछ बुराइयां भी होंगी तो भी उनको प्रोत्साहन ही मिलता रहेगा।

(4) युद्ध – कभी-कभी कट्टर राष्ट्रीयता के कारण युद्ध भी छिड़ जाता है। जब राष्ट्रीय शिक्षा के द्वारा नागरिकों में कट्टर राष्ट्रीयता की भावना विकसित हो जाती है तो वे अन्य राष्ट्रों के नागरिकों को अपनी तुलना में हेय समझने लगते हैं तथा अपनी महानता के गर्व में आकर दूसरे शब्दों पर आक्रमण भी कर बैठते हैं। पिछले दो महायुद्ध इसी संकीर्ण तथा कट्टर राष्ट्रीयता की भावना के कारण हुए।

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