"विराटा की पद्मिनी" का केन्द्रीय पात्र कौन है? उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश
डालिए।
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विराटा की पद्मिनी डॉ. वृन्दावनलाल वर्मा द्वारा रचित एक एतिहासिक उपन्यास है | यह पुस्तक वृन्दावनलाल जी द्वारा सुनी हुई एक कथा पर आधारित है | यह कहानी झाँसी के एक राजा और एक रानी पर आधारित है राजा की मृत्यु के बाद, कैसे रानी उसका बदला लेती है यह इस पुस्तक में बताया गया है |
तारा तथा कुमुद के पात्र हैं। यह नारी-पात्र पुरुष पात्रों को प्रेरणा ही नहीं देते,संसार के संघर्षों में स्वयं लड़ते हुए अपनी शक्ति का भी परिचय देते है| रानीलक्ष्मी बाई सामाजिक और अपने राज्य के लिए खुब लड़ी |
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विराट की पदमिनी का केंद्रीय पात्र कोन है
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