"विराटा की पद्मिनी में ऐतिहासिक हलचल के भीतर एक प्रेमकथा अपनी पूरी मार्मिकता के साथ विद्यमान है।" इस कथन का स्पष्टीकरण कीजिए
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“विराटा की पद्मिनी” एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जो झांसी के पास एक रियासत के राजा-रानी की कहानी है, जिसमें राजा की शत्रुओं द्वारा मृत्यु होने के बाद उसकी रानी शत्रु का सिर काटकर लाने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करने का प्रण करती है।
‘विराटा की पद्मिनी’ उपन्यास में इतिहास और लोक तत्व का समन्वय प्रस्तुत किया गया है। यह उपन्यास एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जो ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की कथा को प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास एक झांसी के निकट एक रियासत के राजा-रानी की कहानी है। जिसमें रानी अपने राजा की मौत का प्रतिशोध लेती है। इस तरह इस उपन्यास में ऐतिहासिक हलचल के बीच एक प्रेमकथा भी अपनी पूरी मार्मिकता से विद्यामान रहती है।
लेखक वृंदावन लाल वर्मा ने इस उपन्यास की रचना करते समय जन श्रुतियों एवं मौखिक परंपरा में सुरक्षित मान्यताओं को अपनी कथा लेखन का आधार बनाया है। वर्मा जी की उपन्यास की कला का कौशल इससे प्रकट होता है कि इतिहास के सर्वमान्य तत्वों को खंडित ना करते हुए भी वे भारतीय शौर्य की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने में सफल हुए हैं। वर्मा जी लेखक ने इस उपन्यास में ऐतिहासिक तथ्यों को निर्जीव पुंज नहीं बल्कि अनुभूति और प्रेरणा का विषय बनाया है। उन्होंने इतिहास की उन सामग्रियों को ग्रहण किया इससे उपन्यास की मनोरंजकता बनी रहे और उसमें लोक तत्वों का समावेश बना रहे और जीवन के विविध पक्षों का पारस्परिक संघर्ष और उनकी उद्दान्त मृत्यु की विजय गाथा भी प्रकट हो जाए। इस तरह लेखक ने ‘विराटा की पद्मिनी’ उपन्यास में इतिहास और लोक तत्व का अभूतपूर्व समन्वय स्थापित किया है।
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