विराटनगर पहुंचकर पांडव और द्रौपदी किन नामों से वहां रहे
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Explanation:
विराटनगर (आधुनिक बैराट) में विराटनरेश की सेवा करना उचित समझा। युधिष्ठिर ने कंक नामधारी ब्राह्मण बनकर राजा की सभा में द्यूत आदि खेल खिलाने (सभास्तर) का काम स्वीकार किया। भीम ने बल्लव नामधारी रसोइए का, अर्जुनने बृहन्नला नामधारी नृत्य शिक्षक का, नकुल ने ग्रथिक नाम से अश्वाध्यक्ष का तथा सहदेव ने तंतिपाल नाम से गोसंख्यक का काम अंगीकार किया। द्रौपदी ने रानी सुदेष्णा की सैर्ध्रीं बनकर केश संस्कार का काम अपने जिम्मे लिया।
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युधिष्ठिर ने बताया कि मैं राजा विराट के यहाँ 'कंक' नाम धारण कर ब्राह्मण के वेश में आश्रय लूँगा। उन्होंने भीम से कहा कि तुम 'वल्लभ' नाम से विराट के यहाँ रसोईए का काम माँग लेना, अर्जुन से उन्होंने कहा कि तुम 'बृहन्नला' नाम धारण कर स्त्री भूषणों से सुसज्जित होकर विराट की राजकुमारी को संगीत और नृत्य की शिक्षा देने की प्रार्थना करना तथा नकुल 'ग्रंथिक' नाम से घोड़ों की रखवाली करने का तथा सहदेव 'तंत्रिपाल' नाम से चरवाहे का काम करना माँग ले