विरोधाभास अलंकार की विशेषताएं लिखिए ।
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Answer:परिभाषा– जहाँ वास्तविक विरोध न होकर केवल विरोध का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है। अर्थात जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध न होते हुए भी विरोध का आभाष हो वहाँ पर विरोधाभास अलंकार होता है। यह अलंकार, Hindi Grammar के Alankar के भेदों में से एक हैं।
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जब किसी वस्तु का वर्णन करते समय विरोध के न होते हुए भी विरोध का आभास होता हो वहाँ पर विरोधाभास अलंकार होता है।
Explanation:
1. आग हूँ जिससे ढुलकते बिंदु हिमजल के।
शून्य हूँ जिसमें बिछे हैं पांवड़े पलकें।
2. बैन सुन्या जबतें मधुर, तबतें सुनत न बैन।
- उपर दिए गए वाक्य में ‘आग हुं’ और ‘शून्य हूं’ में तथा ‘बैन सुन्यों’ और ‘सुनत न बैन’ में विरोध दिखाई पड़ता है।
- सच तो यह है कि दोनों में वास्तविक विरोध नहीं हो रहा है। यह विरोध तो प्रेम की तन्मयता का सूचक है।
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- पुनरुक्ति अलंकार
- विप्सा अलंकार
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