विरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागे कोइ
राम वियोगी ना जिवे, जिवै, जिवै तो वीरा होइ ।।
प्रश्न:
1.
'विरह भुवंगन' का तात्पर्य क्या है ?
'जिवै तो बौरा होइ' का आशय क्या है ?
2.
3. राम का वियोगी कौन होता है ?
4.
बिरही मनुष्य की स्थिति कैसी होती है ?
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