वीरता पुरस्कार और पतछताप पैर लघु कथा लिखें
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2 अक्टूबर,1957 में 14 साल की उम्र के बालक हरीश मेहरा ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पंडित नेहरू और तमाम दूसरे गणमान्य नागरिकों को एक बड़े हादसे से बचाया था।
उस दिन पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, जगजीवन राम आदि रामलीला मैदान में चल रही रामलीला देख रहे थे कि अचानक उस शामियाने के ऊपर आग की लपटें फैलने लगीं, जहां ये हस्तिय़ां बैठी थीं। हरीश वहाँ पर वॉलंटियर की ड्यूटी निभा रहे थे। वे फौरन 20 फीट ऊंचे खंभे के सहारे वहां चढे तथा अपने स्काउट के चाकू से उस बिजली की तार को काट डाला, जिधर से आग फैल रही थी। यह कार्य करने में हरीश के दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए थे।[3]
एक बालक के इस साहस से नेहरु अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर एसे बहादुर बच्चों को सम्मानित करने का निर्णय लिया। सबसे पहला पुरस्कार हरीश चंद्र मेहरा को प्रदान किया गया।[3]
1957 में पुरस्कार शुरू होने के बाद से भारतीय बाल कल्याण परिषद 871 बहादुर बच्चों को पुरस्कार प्रदान कर चुकी हैं, जिनमें 618 लड़के और 253 लड़कियां शामिल हैं।[4]
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, 2013
वर्ष 2012 के दौरान किए गए साहसिक कृत्यों के लिए 2013 के गणतंत्र दिवस पर 22 बच्चो (18 लड़के, 4 लड़कियां) को पुरस्कृत किया गया। इनमें से कुछ ने बच्चों और बुजर्गों को डूबने से बचाया जबकि कुछ ने अपने साथियों और परिवार के सदस्यों को अग्नि, डकैती और चोरों के हाथों मारे जाने से बचाया है। एक लड़की ने अपनी छोटी बहन की चीते के पंजों से रक्षा की और दूसरी ने बाल विवाह से बचने के लिए अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। एक बहादुर बच्चे की कुछ अन्य बच्चों को डूबने से बचाने के दौरान मृत्यु हो गयी।[5]
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, 2014
2014 में बहादुरी पुरस्कार के लिए 25 बच्चों को दिए गए, जिनमें 9 लड़कियां शामिल हैं। पांच पुरस्कार मरणोपरांत दिए गए।
भारत पुरस्कार साढ़े आठ वर्षीय दिल्ली की कुमारी महिका को दिया जाएगा, जिसने केदारनाथ (उत्तराखंड) की बाढ़ में अपने भाई की जान बचाई थी।
गीता चोपड़ा पुरस्कार राजस्थान की 16 वर्षीय कुमारी मलिका सिंह को दिया जाएगा, जिसने अपने साथ छेड़छाड़ कर रहे लोगों से मुकाबला करते समय बहादुरी का परिचय दिया।
संजय चोपड़ा पुरस्कार महाराष्ट्र के 17 वर्षीय शुभम संतोष चौधरी को दिया जाएगा, जिसने स्कूल वैन में आग लगने पर दो बच्चों की जान बचाई।
बापू गैधानी पुरस्कार महाराष्ट्र के साढ़े 17 वर्षीय मास्टर संजय नवासू सुतार, महाराष्ट्र के 13 वर्षीय अक्षय जयराम रोज, उत्तर प्रदेश की 11 वर्षीय स्वर्गीय कुमारी मौसमी कश्यप और 14 वर्षीय स्वर्गीय मास्टर आर्यन राज शुक्ला को प्रदान किया जाएगा।
अन्य पुरस्कृत बच्चों में कुमारी शिल्पा शर्मा (हिमाचल प्रदेश), मास्टर सागर कश्यप (नई दिल्ली), मास्टर अभिषेक एक्का (छत्तीसगढ़), मास्टर एस. एस. मनोज (कर्नाटक), मास्टर सुबीन मैथ्यू, मास्टर अखिल बीजू और मास्टर यदूकृष्णन वी.एस. (सभी केरल), मास्टर सौरभ चंदेल (मध्यप्रदेश) कुमारी तनवी नन्द कुमार ओवहल और मास्टर रोहित रवि जनमांची (महाराष्ट्र), मास्टर कंजलिंगगनबा क्षेत्रीमयूम, कुमारी खरीबाम गुणीचंद देवी और स्व. मास्टर एम. खइंगथेई (सभी मणिपुर), मास्टर वनलालरूआइया, कुमारी रेमलालरूआइलुआंगी, स्व. कुमारी मालसोमथुआंगी और कुमारी हनी गुरथिनथारी (सभी मिजोरम) और स्व. मास्टर एल. मानियो चाचेई (नागालैंड) शामिल हैं
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The Mughal-Rajput Wars were a series of battles fought between the Rajput Confederacy and the Mughal Empire which started with the ...