वास्तव में मौत सजीव और नग्न रूप में कुएं में बैठी थी पर नग्न मौत से मुठभेड़ के लिए मुझे भी नग्न होना पड़ा है इस से आपका क्या आशय है
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प्रश्न में उल्लेखित अंश का आशय है कि हमे समस्या का सामना करने के लिए उसी प्रकार की तैयारी करनी होती हैं जिस रूप में समस्या उसके सामने आई है।
- यह अंश श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित ‘स्मृति’ नामक निबन्ध से लिया गया है।
- इस अंश में उस घटना का वर्णन हुआ है जब लेखक ने स्वयं कुएँ के भीतर जाकर साँप के पास से उन चिट्ठियो को निकालने का निश्चय कर लिया था ।
- तब उनका छोटा भाई यह देखकर रोने लगा उसे लगा कि आज साँप के रूप में साक्षात मौत ही नग्न रूप में कुएँ में बैठी हुई थी।
- तब उस साँपरूपी मौत से लड़ने के लिए लेखक को भी नग्न अवस्था मे आना पड़ा अर्थात् उन्हें कुएँ में उतरने के लिए अपनी धोती उतारनी पड़ी।
- इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति को हमेशा उसी रूप में तैयारी करनी चाहिए जिस रूप में समस्या उसके सम्मुख हो।
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