वास्तव में सिंधु और ब्रह्मपुत्र स्वयं कुछ नहीं है। दयालु हिमालय के पिघले हुए दिल की एक-एक
न जाने कब से इकट्ठा हो-होकर इन दो महानदों के रूप में समुद्र की ओर प्रवाहित होती रही है। कितना सौभाग्यशाली
है वह समुद्र जिसे पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला।
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प्रश्न-
(क) इस गांश में किन दो प्रमुख नदियों का उल्लेख है? इतिहास में इन नदियों को कहीं-कहीं कौन-सा
रूप दिया है।
(ख) सिंधु और ब्रह्मपुत्र के उद्गम के बारे में लेखक का क्या मत है?
(ग) समद को सौभाग्यशाली क्यों कहा गया है?
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your question is too big
So sorry !!
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