Hindi, asked by divyajain64266, 10 months ago

वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय​

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Answered by Souryakr
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Explanation:

हिंदी गद्य के लोकविश्रुत रचनाकार वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में स्थित खेड़ा नामक ग्राम में 6 अगस्त,1904 ई. को हुआ था। माता का निवास लखनऊ में होने के कारण इनका बचपन यहीं व्यतीत हुआ। माता-पिता की छत्र-छाया में रहकर अपनी शिक्षा भी अापने यहीं प्राप्त की लखनऊ विश्वविद्यालय से 1929 में एम•ए• करने के पश्चात् 1940 तक मथुरा पुरातत्व संग्रहालय के अध्यक्ष रहे। 1941 में पी-एच•डी• तथा 1946 में डी•लिट• की उपाधि प्राप्त की। 1946 से 1951 तक सेंट्रल एशियन एंटिक्विटीज म्यूजियम के सुपरिंटेंडेंट और भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष रहे। सन् 1951 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के काॅलेज ऑफ इंडोलाॅजी (भारती महाविद्यालय) में प्रोफेसर का पद सुशोभित किया। सन् 1952 में लखनऊ विश्वविद्यालय में राधाकुमुद मुखर्जी व्याख्याननिधि की ओर से व्याख्याता नियुक्त हुए। व्याख्यानमाला 'पाणिनि' पर आयोजित की गयी थी। इसके अतिरिक्त भारतीय मुद्रापरिषद् (नागपुर), भारतीय संग्रहालय परिषद् (पटना), ऑल इंडिया ओरिएंटल काँग्रेस, फाइन आर्ट सेक्शन (बंबई) आदि संस्थाओं के सभापति भी रहे । इनकी मृत्यु सन 1967 ई० में हुआ।

Answered by Anonymous
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हिंदी गद्य के लोकविश्रुत रचनाकार वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में स्थित खेड़ा नामक ग्राम में 6 अगस्त,1904 ई. को हुआ था। माता का निवास लखनऊ में होने के कारण इनका बचपन यहीं व्यतीत हुआ। माता-पिता की छत्र-छाया में रहकर अपनी शिक्षा भी अापने यहीं प्राप्त की लखनऊ विश्वविद्यालय से 1929 में एम•ए• करने के पश्चात् 1940 तक मथुरा पुरातत्व संग्रहालय के अध्यक्ष रहे। 1941 में पी-एच•डी• तथा 1946 में डी•लिट• की उपाधि प्राप्त की। 1946 से 1951 तक सेंट्रल एशियन एंटिक्विटीज म्यूजियम के सुपरिंटेंडेंट और भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष रहे। सन् 1951 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के काॅलेज ऑफ इंडोलाॅजी (भारती महाविद्यालय) में प्रोफेसर का पद सुशोभित किया। सन् 1952 में लखनऊ विश्वविद्यालय में राधाकुमुद मुखर्जी व्याख्याननिधि की ओर से व्याख्याता नियुक्त हुए। व्याख्यानमाला 'पाणिनि' पर आयोजित की गयी थी। इसके अतिरिक्त भारतीय मुद्रापरिषद् (नागपुर), भारतीय संग्रहालय परिषद् (पटना), ऑल इंडिया ओरिएंटल काँग्रेस, फाइन आर्ट सेक्शन (बंबई) आदि संस्थाओं के सभापति भी रहे । इनकी मृत्यु सन 1967 ई० में हुआ।

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