Hindi, asked by gyanchanddewangan777, 11 months ago

वासना का प्रतीक है और हनुमान सेवा भावना के
रावण सीता माता का उपभोग करना चाहता था
गमसे छीन लेना चाहता था। हनुमान सीता माता
आपके पास वापस ले जाना चाहते थे। वासना का अर्थ है
और प्रेम का अर्थ है ईश्वर की सेवा। किस तरह सेवा की
भावना इंद्रिय तृप्ति की प्रवृत्ति में परिवर्तित हो जाती है ? और
किस तरह जीव काम वासना की प्रवाह में बह जाता है ?
प्राद
(गीता 3.37)
क.बुद्धि के उपयोग द्वारा
ख.साधनों के दुरूपयोग द्वारा
ग.स्वतंत्रता के दुरुपयोग द्वारा
घ.आवश्यकता से अधिक ऐश्वर्य द्वारा​

Answers

Answered by rajugupta9954
5

Answer:

घ.आवश्यकता से अधिक ऐश्वर्य द्वारा

Answered by sumitrsharma
6

Answer:

घ.आवश्यकता से अधिक ऐश्वर्य द्वारा

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