विसरण एवं परासरण को समझाये
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विलायक का कम सान्द्रता के विलयन से अधिक सान्द्रता के विलयन की ओर अर्द्धपारगम्य झिल्ली में से होकर स्वतः प्रवाह करते हैं , परासरण कहलाता है । वह क्रियाविधि जिसमें विलेय के अणु या कण विलयन में जाकर उसके सभी भागों की सान्द्रता को समान कर देते हैं , विसरण कहलाता है ।
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