विसरण तथा परासरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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विसरण (Diffusion)- "ठोस, द्रव एवं गैस अणुओं की अधिक सान्द्रता क्षेत्र से कम सान्द्रता क्षेत्र की ओर होने वाली गति को विसरण कहते हैं" यह गति तब तक जारी रहती है जब तक अणुओं का उपलब्ध माध्यम में समान वितरण नहीं हो पाता है। उदाहरण- यदि इत्र या अमोनिया से भरी बोतल को खोलकर कमरे के किसी स्थान पर रख दिया जाये तो जल्दी ही इसकी खुशबू पूरे कमरे में फैल जाती है। इसी प्रकार यदि जल से भरे बीकर में कॉपर सल्फेट का क्रिस्टल डाल दिया जाये तो कुछ समय पश्चात् क्रिस्टल अदृश्य हो जाता है। तथा बीकर का सारा जल नीला हो जाता है। उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि अणुओं का अपनी अधिक सान्द्रता से कम सान्द्रता की ओर प्रसार होता है तथा अणु उपलब्ध माध्यम में समान रूप से फैल जाते है
परासरण (Osmosis) - परासरण विलायक पदार्थों का विशिष्ट प्रकार का विसरण है जो अर्धपारगम्य झिल्ली के माध्यम से होता है। यदि एक विलयन तथा उसके शुद्ध विलायक को अर्ध पारगम्य झिल्ली (जो विलायक अणुओं को प्रवेश प्रदान करती है) द्वारा रखते हैं तो विलायक के अणु विलयन में विसरित हो जाते हैं। इस प्रकार विलायक अणुओं का अर्ध पारगम्य झिल्ली के माध्यम से विलयन में विसरण परासरण कहलाता है। यदि दो भिन्न सान्द्रता के विलयनों को अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग किया जाता है तो विलायक निम्न सान्द्रता के विलयन से उच्च सान्द्रता विलयन में विसरित होता है। तथा यह क्रिया तब तक जारी रहती है "विलायक अणुओं का। अर्ध पारगम्य झिल्ली से होकर कम सान्द्रता विलयन से अधिक सान्द्रता विलयन में विसरण की क्रिया परासरण कहलाती हैं।" उपरोक्त दोनों ही परिस्थितियों में विलायक अपनी अधिक सान्द्रता क्षेत्र से कम सान्द्रता क्षेत्र में विसरित होता है। इस प्रकार "परासरण वह क्रिया है।