Hindi, asked by archanasingh1137, 3 months ago

विशाखदत्त के उपर 10 वाक्य​

Answers

Answered by DreamCatcher007
0

विशाखदत्त संस्कृत भाषा के सुप्रसिद्ध नाटककार थे।

विशाखदत्त गुप्तकाल की विभूति थे। विशाखदत्त की दो अन्य रचनाओं- देवी चन्द्रगुप्तम्, तथा राघवानन्द नाटकम् - का भी उल्लेख मिलता है, किन्तु उनकी प्रसिद्धि का मूलाधार ‘मुद्राराक्षस’ ही है।

विशाखदत्त द्वारा लिखे नाटक मुद्राराक्षस और देवीचंद्रगुप्तम बहुत प्रसिद्ध हुए। इन किताबों में उन्होंने सुंदर शब्दों के साथ संस्कृत भाषा लिखी थ। इसलिए अभी भी हम वर्तमान में पुस्तकों के विषयों की प्रशंसा करते हैं। उनके पिता और दादा के चरित्रों को भी इन पुस्तकों में महाराजा भास्करदत्त और महाराजा बटेश्वरदत्त के रूप में सुनाया गया था.

जन्म-- विशाखदत्त का जन्म राजकुल में हुआ था। वे सामन्त बटेश्वरदत्त के पौत्र और महाराज पृथु के पुत्र थे। ‘मुद्राराक्षस’ की कुछ प्रतियों के अनुसार वे महाराज भास्करदत्त के पुत्र थे।

मुद्राराक्षस-- मुद्राराक्षस संस्कृत का ऐतिहासिक नाटक है जिसके रचयिता विशाखदत्त हैं।इसकी रचना चौथी शताब्दी में हुई थी। इसमें चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य संबंधी ख्यात वृत्त के आधार पर चाणक्य की राजनीतिक सफलताओं का अपूर्व विश्लेषण मिलता है। इसमें नन्दवंश के नाश, चन्द्रगुप्त के राज्यारोहण, राक्षस के सक्रिय विरोध, चाणक्य की राजनीति विषयक सजगता और अन्ततः राक्षस द्वारा चन्द्रगुप्त के प्रभुत्व की स्वीकृति का उल्लेख हुआ है। इसमें साहित्य और राजनीति के तत्त्वों का मणिकांचन योग मिलता है,

देवीचंद्रगुप्तम्-- उन्होंने देवीचंद्रगुप्त नाम से एक और नाटक किया, जो गुप्तवंशी राजा रामगुप्त की पत्नी देवी और उनके छोटे भाई चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के बीच की कहानी है.

देवीचंदगुप्तम में कहानी की रेखा बहुत दिलचस्प है. एक बार शक शासक ने राजा रामगुप्त को धोखा दिया और अपमानजनक संधि के लिए मजबूर किया. संधि के कारण रामगुप्त ने अपने ध्रुवदेवी को शक शासक के पास भेजा. फिर कहानी का मुख्य नायक चंद्रगुप्त, रामगुप्त का छोटा भाई कहानी में प्रवेश करता है और अपमान के लिए अपने ही भाई रामगुप्त .को मार डालता है. फिर उसने गुप्त साम्राज्य के सिहांसन पर राज करता हैं रामगुप्त की पत्नी ध्रुवदेवी से विवाह करता हैं.

Answered by JaiMatadiSarthak
5

Answer:

विशाखदत्त गुप्तकाल की विभूति थे। विशाखदत्त की दो अन्य रचनाओं- देवी चन्द्रगुप्तम्, तथा राघवानन्द नाटकम् - का भी उल्लेख मिलता है, किन्तु उनकी प्रसिद्धि का मूलाधार ‘मुद्राराक्षस’ ही है।

विशाखदत्त द्वारा लिखे नाटक मुद्राराक्षस और देवीचंद्रगुप्तम बहुत प्रसिद्ध हुए। इन किताबों में उन्होंने सुंदर शब्दों के साथ संस्कृत भाषा लिखी थ। इसलिए अभी भी हम वर्तमान में पुस्तकों के विषयों की प्रशंसा करते हैं। उनके पिता और दादा के चरित्रों को भी इन पुस्तकों में महाराजा भास्करदत्त और महाराजा बटेश्वरदत्त के रूप में सुनाया गया था.

जन्म-- विशाखदत्त का जन्म राजकुल में हुआ था। वे सामन्त बटेश्वरदत्त के पौत्र और महाराज पृथु के पुत्र थे। ‘मुद्राराक्षस’ की कुछ प्रतियों के अनुसार वे महाराज भास्करदत्त के पुत्र थे।

मुद्राराक्षस-- मुद्राराक्षस संस्कृत का ऐतिहासिक नाटक है जिसके रचयिता विशाखदत्त हैं। इसकी रचना चौथी शताब्दी में हुई थी। इसमें चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य संबंधी ख्यात वृत्त के आधार पर चाणक्य की राजनीतिक सफलताओं का अपूर्व विश्लेषण मिलता है। इसमें नन्दवंश के नाश, चन्द्रगुप्त के राज्यारोहण, राक्षस के सक्रिय विरोध, चाणक्य की राजनीति विषयक सजगता और अन्ततः राक्षस द्वारा चन्द्रगुप्त के प्रभुत्व की स्वीकृति का उल्लेख हुआ है। इसमें साहित्य और राजनीति के तत्त्वों का मणिकांचन योग मिलता है,

देवीचंद्रगुप्तम्-- उन्होंने देवीचंद्रगुप्त नाम से एक और नाटक किया, जो गुप्तवंशी राजा रामगुप्त की पत्नी देवी और उनके छोटे भाई चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के बीच की कहानी है.

हम राजा भोज के रामचंद्र और गुणचंद्र के नाट्यदर्पण नामक दो कार्यों में देवीचंद्रगुप्त के अंश देख सकते हैं. विशाखदत्त की पुस्तक के उद्धरणों में से कुछ को राजा भोज द्वारा व्यापक रूप से समझाया गया है.

देवीचंदगुप्तम में कहानी की रेखा बहुत दिलचस्प है. एक बार शक शासक ने राजा रामगुप्त को धोखा दिया और अपमानजनक संधि के लिए मजबूर किया. संधि के कारण रामगुप्त ने अपने ध्रुवदेवी को शक शासक के पास भेजा. फिर कहानी का मुख्य नायक चंद्रगुप्त, रामगुप्त का छोटा भाई कहानी में प्रवेश करता है और अपमान के लिए अपने ही भाई रामगुप्त .को मार डालता है. फिर उसने गुप्त साम्राज्य के सिहांसन पर राज करता हैं रामगुप्त की पत्नी ध्रुवदेवी से विवाह करता हैं.

Explanation:

Hope this willl be helpful for you.Mark me as a brainliest and follow me...

Similar questions