Hindi, asked by di9024163215, 3 months ago

विशेषण के चारों प्रकारों का प्रयोग करते हुए लघु कथा लिखिए व विशेषण के प्रकारों को रेखांकित करें –

Answers

Answered by maryjanepaltingca24
2

Answer:

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Answered by pritybanerjee709
7

Explanation:

विशेषण परिभाषा – Visheshan in Hindi Examples (Udaharan) – Hindi Grammar

परिभाषा

प्रकार

प्रविशेषण

तुलनाबोधक विशेषण

“जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता अथवा हीनता बताए, ‘विशेषण’ कहलाता है और वह संज्ञा या सर्वनाम ‘विशेष्य’ के नाम से जाना जाता है।”

नीचे लिखे वाक्यों को देखें-

अच्छा आदमी सभी जगह सम्मान पाता है।

बुरे आदमी को अपमानित होना पड़ता है।

उक्त उदाहरणों में ‘अच्छा’ और ‘बुरा’ विशेषण एवं ‘आदमी’ विशेष्य हैं। विशेषण हमारी जिज्ञासाओं का शमन (समाधान) भी करता है। उक्त उदाहण में ही-

कैसा आदमी? – अच्छा/बुरा

विशेषण न सिर्फ विशेषता बताता है; बल्कि वह अपने विशेष्य की संख्या और परिमाण (मात्रा) भी बताता है।

जैसे-

पाँच लड़के गेंद खेल रहे हैं। (संख्याबोधक)

इस प्रकार विशेषण के चार प्रकार होते हैं-

गुणवाचक विशेषण

संख्यावाचक विशेषण

परिमाणवाचक विशेषण

सार्वनामिक विशेषण

1. गुणवाचक विशेषण

“जो शब्द, किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति, स्वभाव, दशा, दिशा, स्पर्श, गंध, स्वाद आदि का बोध कराए, ‘गुणवाचक विशेषण’ कहलाते हैं।”

गुणवाचक विशेषणों की गणना करना मुमकिन नहीं; क्योंकि इसका क्षेत्र बड़ा ही विस्तृत हुआ करता है।

जैसे-

गुणबोधक : अच्छा, भला, सुन्दर, श्रेष्ठ, शिष्ट,

दोषबोधक : बुरा, खराब, उदंड, जहरीला, …………….

रंगबोधक : काला, गोरा, पीला, नीला, हरा, …………….

कालबोधक : पुराना, प्राचीन, नवीन, क्षणिक, क्षणभंगुर, …………….

स्थानबोधक : चीनी, मद्रासी, बिहारी, पंजाबी, …………….

गुणवाचक विशेषणों में से कुछ विशेषण खास विशेष्यों के साथ प्रयुक्त होते हैं। उनके प्रयोग से वाक्य बहुत ही सुन्दर और मज़ेदार हो जाया करते हैं। नीचे लिखे उदाहरणों को देखें-

इस चिलचिलाती धूप में घर से निकलना मुश्किल है।

इस मोहल्ले का बजबजाता नाला नगर निगम की पोल खोल रहा है।

मुझे लाल-लाल टमाटर बहुत पसंद हैं।

शालू के बाल बलखाती नागिन-जैसे हैं।

नोट : उपर्युक्त वाक्यों में चिलचिलाती ………. धूप के लिए, बजबजाता ………. नाले के लिए, लाल-लाल …….. टमाटर के लिए और बलखाती ………… नागिन के लिए प्रयुक्त हुए हैं। ऐसे विशेषणों को ‘पदवाचक विशेषण’ कहा जाता है।

क्षेत्रीय भाषाओं में जहाँ के लोग कम पढ़े-लिखे होते हैं, वे कभी-कभी उक्त विशेषणों से भी जानदार विशेषणों का प्रयोग करते देखे गए हैं।

जैसे-

बहुत गहरे लाल के लिए : लाल टुह-टुह

बहुत सफेद के लिए : उज्जर बग-बग/दप-दप

बहुत ज्यादा काले के लिए : कार खुट-खुट/करिया स्याह

बहुत अधिक तिक्त के लिए : नीम हर-हर

बहुत अधिक हरे के लिए : हरिअर/हरा कचोर/हरिअर कच-कच

बहुत अधिक खट्टा के लिए : खट्टा चुक-चुक/खट्टा चून

बहुत अधिक लंबे के लिए : लम्बा डग-डग

बहुत चिकने के लिए : चिक्कन चुलबुल

बहुत मैला/गंदा : मैल कुच-कुच

बहुत मोटे के लिए : मोटा थुल-थुल

बहुत घने तारों के लिए : तारा गज-गज

बहुत गहरा दोस्त : लँगोटिया यार

बहुत मूर्ख के लिए : मूर्ख चपाट/चपाठ

नीचे दिए गए विशेषणों से उपयुत विशेषण चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

मूसलाधार, प्राकृतिक, आलसी, बासंती, तेजस्वी, साप्ताहिक, टेढ़े-मेढ़े, धनी, ओजस्वी, शर्मीली, भाती, पीले-पीले, लजीज, बर्फीली, काले-कजरारे, बलखाती, पर्वतीय, कड़कती, सुनसान, सुहानी, वीरान, पुस्तकीय, बजबजाता, चिलचिलाती,

2. संख्यावाचक विशेषण.

“वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए, ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहलाता है।”

जैसे-

उस मैदान में पाँच लड़के खेल रहे हैं।

इस कक्षा के कुछ छात्र पिकनिक पर गए हैं।

उक्त उदाहरणों में ‘पाँच’ लड़कों की निश्चित संख्या एवं ‘कुछ’ छात्रों की अनिश्चित संख्या बता रहे हैं।

निश्चित संख्यावाचक विशेषण भी कई तरह के होते हैं-

1. गणनावाचक : यह अपने विशेष्य की साधारण संख्या या गिनती बताता है। इसके भी दो प्रभेद होते हैं-

(a) पूर्णांकबोधक/पूर्ण संख्यावाचक : इसमें पूर्ण संख्या का प्रयोग होता है।

जैसे-

चार छात्र, आठ लड़कियाँ …………

3. परिमाणवाचक विशेषण

”वह विशेषण जो अपने विशेष्यों की निश्चित अथवा अनिश्चित मात्रा (परिमाण) का बोध कराए, ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहलाता है।”

इस विशेषण का एकमात्र विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा है।

जैसे-

मुझे थोड़ा दूध चाहिए, बच्चे भूखे हैं।

बारात को खिलाने के लिए चार क्विटल चावल चाहिए।

उपर्युक्त उदाहरणों में थोड़ा’ अनिश्चित एवं ‘चार क्विटल’ निश्चित मात्रा का बोधक है। परिमाणवाचक से भिन्न संज्ञा शब्द भी परिमाणवाचक की भाँति प्रयुक्त होते हैं।

जैसे-

चुल्लूभर पानी में डूब मरो।

2007 की बाढ़ में सड़कों पर छाती भर पानी हो गया था।

संख्यावाचक की तरह ही परिमाणवाचक में भी ‘ओं’ के योग से अनिश्चित बहुत्व प्रकट होता है।

जैसे-

उस पर तो घड़ों पानी पड़ गया है।

4. सार्वनामिक विशेषण

हम जानते हैं कि विशेषण के प्रयोग से विशेष्य का क्षेत्र सीमित हो जाता है। जैसे— ‘गाय’ कहने से उसके व्यापक क्षेत्र का बोध होता है; किन्तु ‘काली गाय’ कहने से गाय का क्षेत्र सीमित हो जाता है। इसी तरह “जब किसी सर्वनाम का मौलिक या यौगिक रूप किसी संज्ञा के पहले आकर उसके क्षेत्र को सीमित कर दे, तब वह सर्वनाम न रहकर ‘सार्वनामिक विशेषण’ बन जाता है।”

जैसे-

यह गाय है। वह आदमी है।

इन वाक्यों में ‘यह’ एवं ‘वह’ गाय तथा आदमी की निश्चितता का बोध कराने के कारण निश्चयवाचक सर्वनाम हुए; किन्तु यदि ‘यह’ एवं ‘वह’ का प्रयोग इस रूप में किया जाय-

यह गाय बहुत दूध देती है।

वह आदमी बड़ा मेहनती है।

तो ‘यह’ और ‘वह’ ‘गाय’ एवं आदमी के विशेषण बन जाते हैं। इसी तरह अन्य उदाहरणों को देखें-

1. वह गदहा भागा जा रहा है।

2. जैसा काम वैसा ही दाम, यही तो नियम है।

3. जितनी आमद है उतना ही खर्च भी करो।

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