Hindi, asked by sthirupathi354, 7 months ago

विश्व बंधुत्व की भावना उजागर करने हेतु हम सब का क्या कर्तव्य बनता है?​

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Answered by KVenu28
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विश्व-बंधुत्व भावना: सारे विश्व की मानव जाति एक ही तो है!

सभी मनुष्य एक सी सांस लेते हैं, एक सी ही सुख:दुःख की सम्वेदनाएँ इनके शरीर पर होती हैं, जिनसे वे राग द्वेष जगाते रहते हैं और सुखी दुःखी होने की अनुभूति करते रहते हैं। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वह मनुष्य हिन्दू है, या मुस्लिम, क्रिस्चियन, या अन्य पंथानुगामी है, क्योंकि सांस या सम्वेदनाएँ इन सम्प्रदायों से परे हैं। कोई भी सांस न तो हिंदू होती है, न ही मुस्लिम, न ईसाई, या किसी अन्य पंथ से सम्बद्ध!

चाहे वह मनुष्य किसी पंथ से सम्बद्ध क्यों न हो, यदि विकार जगाता है तो दुःखी होगा ही। क़ुदरत का क़ानून सबके लिए बराबर है।

एक सद्गृहस्थ जैसे अपनी पत्नी और संतान को जोड़े रखता है वैसे ही परिवार के अन्य लोगो को, कुटुंब के अन्य लोगो को, अपने सगे सम्बन्धियों को बंधु बान्धवो को जोड़े, यानी उनसे स्नेह सम्बन्ध बनाये रखे।

स्वयं धनवान हो तो अपने निर्धन हुए बंधु-बान्धवो से स्नेह सत्कार का सम्बन्ध बनाये रखे। सहानुभूति और सहयोग का सम्बन्ध बनाये रखे। निर्धन है तो इस कारण उन्हें दुत्कारे नहीं। उनका अपमान नहीं करे। उनका यथोचित सम्मान करे। संकट में पड़े बंधु-बांधवों की यथाशक्ति सहायता करे।इस प्रकार उन्हें साथ जोड़े रखने का काम करे।

समय सदा एक सा नही रहता। पलटता है तो यही दुख्यारे बंधु-बांधव संपन्न हो सकते हैं। संकट के समय इन्हे सहायता देने का एहसान कभी नही भूलते। जाति-बंधुओ को इस प्रकार जोड़े रखना उत्तम मंगल है।

ओर फिर ऊँच नीच के भेद भाव को भुलाकर अपने सारे देशवासिओं को जाति-बंधु माने और सब को जोड़कर रखने के काम में हाथ बटाये।

इतना ही नही जाति-बंधुओ की परिभाषा को और विकसित करके देखते हुए सारे विश्व की मानव जाति को जोड़े रखने के काम में यथाशक्ति सहायक हो जायँ। आखिर मनुष्य तो मनुष्य है। भगवान बुद्ध ने मनुष्यो की एक ही जाति मानी थी। आगे चलकर के इसी को हमारे यहाँ के एक प्रमुख संत ने दोहराया-

'मानुस की जात सब एक कर जानिये।'

किसी रंग-रूप का हो, किसी बोली-भाषा का हो, किसी वेशभूषा का हो, किसी वर्ण-गोत्र का हो, किसी देश-विदेश का हो, मनुष्य तो मनुष्य ही है। एक ही जाति का प्राणी है।

सारी मनुष्य जाति को जोड़े रखने में, संग्रह करने में, सचमुच उत्तम मंगल ही समाया हुआ है।

यही भारतीय संस्कृति है।

Answered by 182946
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Answer:

hamare andar vishav bandutava ki bhavana isliye honi chaiye kyoki yhe manva manav me bhai chara or aakta badthi h

Explanation:

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