विश्व भर में कच्चे तेल के भंडार सीमित है यदि लोग वर्तमान दर से इसका दान करते रहे तो 35 से 40 वर्षों में समाप्त हो जाएगा इस समस्या से निपटने के लिए किन्हीं तीन उपायों का वर्णन कीजिए
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•नई दिल्ली. कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के चलते सरकार देश के तेल भंडार में इजाफे की योजना बना रही है। ताकि कच्चे तेल का आयात कम या रुकने के बावजूद भी देश में उसका पर्याप्त भंडार रहे। सरकार चाहती है कि तेल व्यापारी और उत्पादक देश में तेल की क्षमता बढ़ाने में मदद करें। दो नई तेल सुरंगें बनाने के लिए भारत को 11 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। इसमें देश की 12 दिन जरूरत का कच्चा तेल इकट्ठा किया जा सकेगा। तेल कंपनियां कच्चे तेल के रेट और डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू के हिसाब से हर रोज पेट्रोल-डीजल की कीमत तय करती हैं। ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है।
तेल की सुरंगें: इसे स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) कहा जाता है। भारत के पास तीन अंडरग्राउंड स्टोरेज फैसिलिटी हैं। इसे 4100 करोड़ रुपए में तैयार किया गया है। जमीन के अंदर बनी इन सुरंगों में 5.33 मिलियन टन कच्चा तेल स्टोर किया जा सकता है।
सुरंगों में कितना तेल: विशाखापट्टनम की एक तेल सुरंग में सरकार का खरीदा 1.33 मिलियन टन कच्चा तेल भरा हुआ है। वहीं मेंगलोर की 1.5 मिलियन टन क्षमता वाली सुरंग आधी भरी हुई है। इसमें आधा बाकी बचा तेल भरने के लिए अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी को लीज पर दिया गया है। कर्नाटक के पेदूर में सुरंग बन चुकी है लेकिन तेल भरा जाना है।
और सुरंगों की जरूरत: कैबिनेट ने साल की शुरुआत में दो और एसपीआर बनाए जाने को मंजूरी दी है। इसके तहत 4.4 मिलियन टन का एसपीआर ओडिशा के चांडीकोल और 2.5 मिलियन टन क्षमता का पेदूर में बनाया जाना है।
निवेश चाहती है केंद्र सरकार: केंद्र सरकार दो एसपीआर के लिए ग्लोबल ऑयल प्रोड्यूसर्स और ट्रेडर्स से 1.5 बिलियन डॉलर (करीब 11 हजार करोड़ रुपए) का निवेश चाहती है। इसके लिए नई दिल्ली, सिंगापुर और लंदन में रोड शो करने की योजना है। सरकार चाहती है कि निजी निवेशक तेल भंडार बढ़ाने में सरकारी योजनाओं में पैसा लगाएं।
तेल कहां से आएगा: अगर तेल प्राइवेट कंपनियां देंगी तो भारत की प्राथमिकता कच्चा तेल लेने की होगी। सरकार के स्वामित्व वाले एसपीआर प्रोजेक्ट में निवेश के लिए निजी कंपनियों से समझौते करेंगे।
भारत के लिए सुरंगों का बनना क्यों जरूरी: भारत 85% कच्चा तेल आयात करता है। तेल की कीमतों में उछाल और बदलती परिस्थितियों के चलते तेल के आयात पर असर पड़ सकता है। तीन एसपीआर में भरा कच्चा तेल 10 दिन तक देश की जरूरत पूरी कर सकता है। जो अन्य दो एसपीआर बनने वाले हैं, उनसे 12 दिन के तेल की जरूरत पूरी हो सकेगी।
आ चुकी है समस्या: 1990 में खाड़ी युद्ध के दौरान भारत का तेल भंडार केवल तीन दिनों के लिए रह गया था। उस दौरान अमेरिका, जापान, चीन, यूके और यूरोपीय यूनियन में भी तेल की कमी हो गई थी।
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