वैश्विक महामारी के कारण देश की लड़खड़ाईं अर्थव्यवस्था पर 150- 200 शब्दों में अनुच्छेद तैयार कीजिए
Answers
Answer:
एक अभूतपूर्व महामारी के साथ ... के प्रभाव के कारण है- दीर्घकालिक ... और सलाह दी कि सभी देशों को ...
Answer:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद ऐसे संकेत दिए हैं कि बदलाव आने वाला है. उन्होंने पिछले दिनों देश के सरपंचों को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना संकट ने एक नया संदेश दिया है और एक नई दिशा दिखाई है.
"एक प्रकार से उस रास्ते पर चलने के लिए हमारी दिशा-निर्देश कर दी है." और फिर वो ड्रामाई अंदाज़ में पूछते हैं, "और वो रास्ता क्या है, वो दिशा क्या है?" इसका जवाब वो तुरंत ख़ुद ही देते हैं, "इस कोरोना संकट से हमने पाया है कि हमें आत्मनिर्भर बनना ही पड़ेगा."
आत्मनिर्भरता मामूली नहीं बल्कि बहुत ही अर्थपूर्ण शब्द है. उन्होंने आगे कहा, "भारत में ये विचार सदियों से रहा है लेकिन आज बदलती परिस्थितियों ने हमें फिर से याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर बनो, आत्मनिर्भर बनो, आत्मनिर्भर बनो."
आत्मनिर्भरता पर जिस क़दर उनका ज़ोर था उससे उनके इरादे का अंदाज़ा खूब हो जाता है. इससे कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना संकट के बाद वाली व्यवस्था कैसी हो इस पर विचार होना चाहिए.स्वदेशी के विचार को प्रोत्साहित करते हुए भागवत ने आगे कहा, "हमें इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि हमारे पास विदेश से क्या आता है, और यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें अपनी शर्तों पर करना चाहिए. हम अपने माल का उत्पादन ख़ुद करें और उनका उपयोग ख़ुद करें."
उन्होंने ये भी कहा, "स्वदेशी के विचार को व्यक्तिगत स्तर से लेकर परिवार तक आंतरिक रूप से अपनाना होगा."
महामारी के शुरू के दिनों में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने देश में 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को साकार करने के लिए घरेलू उद्योग को अधिक आत्मनिर्भर बनाने और राष्ट्रवाद की भावना को आत्मसात करने का आह्वान किया था. गोयल ने कहा था, "उद्योग को राष्ट्रवाद और आत्मनिर्भरता बढ़ाने की भावना के साथ काम करना चाहिए