विश्व के प्रसिद्ध स्मारक स्टोनहेज जो कि इंग्लैंड में बने हुये हैं उन्हें किसने और कब बनाया ?
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रिसर्चरों को इंग्लैंड में स्टोनहैंज के आसपास नई चट्टानें मिली हैं जिनका डिजिटल मैप तैयार किया गया है. स्टोनहेंज प्रागैतिहासिक काल का ऐसा स्मारक है जो चट्टान के विभिन्न टुकड़ों को जोड़कर बनाई गई वक्राकार आकृतियां हैं.
जमीन को भेदने वाले रडार, 3डी लेजर स्कैनर और मेटल डिटेक्टर की मदद से रिसर्चरों की टीम एक डिजिटल मैप तैयार करने में कामयाब हो गई है. उम्मीद की जा रही है कि इसकी मदद से जमीन के भीतर छुपे प्राचीनकाल के स्मारकों के ढेरों रहस्य खोले जा सकेंगे. रिसर्चरों ने इस बारे में बर्मिंघम में आयोजित ब्रिटिश साइंस फेस्टिवल में बताया.
प्रोजेक्ट लीडर प्रोफेसर विंसेंट गैफ्नी के मुताबिक, "स्टोनहेंज के आसपास का ज्यादातर इलाका अभी भी रहस्य है. स्टोनहेंज के बारे में हम जो कुछ भी सोचते हैं यह उन बातों के आधार पर है जो हम ठीक से जानते ही नहीं. नई रिसर्च से स्टोनहैंज के बारे में हमारी धारणा बदलेगी. यह एक बड़ा कदम है."
नई जानकारियां
अपने चार साल के शोध के दौरान टीम को 17 नए ऐसे स्मारक मिले जिनके बारे में पहले पता नहीं था. रिसर्चर दर्जनों नए टीलों के बारे में पता लगाने में भी कामयाब हुए. इनके बारे में धारणा है कि इन्हें अंतिम संस्कार में दफ्नाने के काम में इस्तेमाल किया गया होगा. गैफ्नी ने बताया, "जिन नए स्मारकों का पता चला है ये अलग तरह के हैं और इन्हें भूगर्भ विज्ञानियों ने पहले नहीं देखा."
इस प्रोजेक्ट के जरिए स्टोनहेंज के पास ही स्थित डरिंग्टन वॉल के बारे में भी नई जानकारियां मिली हैं. यहां करीब 4500 साल पहले सभ्यता का अस्तित्व माना जाता. यह लगभग वही समय था जिस समय के स्टोहेंज हैं. रिसर्चरों के मुताबिक इसके इर्द गिर्द भी करीब तीन मीटर तक इसी तरह के पत्थरों का घेरा था. डिजिटल मैप पहले से ज्ञात प्रागैतिहासिक काल के स्टोहेंज के स्मारकों की रिसर्च में नई जानाकरियां जोड़ता है.
इस प्रोजेक्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के साथ विएना के लुडविग बेल्ट्समन इंस्टीट्यूट ने भी हिस्सा लिया. साथ ही इसमें शामिल अन्य यूनिवर्सिटियां हैं यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैडफर्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्र्यूज, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम और यूनिवर्सिटी ऑफ घेंट.
एसएफ/एएम (एपी,एफपी)
जमीन को भेदने वाले रडार, 3डी लेजर स्कैनर और मेटल डिटेक्टर की मदद से रिसर्चरों की टीम एक डिजिटल मैप तैयार करने में कामयाब हो गई है. उम्मीद की जा रही है कि इसकी मदद से जमीन के भीतर छुपे प्राचीनकाल के स्मारकों के ढेरों रहस्य खोले जा सकेंगे. रिसर्चरों ने इस बारे में बर्मिंघम में आयोजित ब्रिटिश साइंस फेस्टिवल में बताया.
प्रोजेक्ट लीडर प्रोफेसर विंसेंट गैफ्नी के मुताबिक, "स्टोनहेंज के आसपास का ज्यादातर इलाका अभी भी रहस्य है. स्टोनहेंज के बारे में हम जो कुछ भी सोचते हैं यह उन बातों के आधार पर है जो हम ठीक से जानते ही नहीं. नई रिसर्च से स्टोनहैंज के बारे में हमारी धारणा बदलेगी. यह एक बड़ा कदम है."
नई जानकारियां
अपने चार साल के शोध के दौरान टीम को 17 नए ऐसे स्मारक मिले जिनके बारे में पहले पता नहीं था. रिसर्चर दर्जनों नए टीलों के बारे में पता लगाने में भी कामयाब हुए. इनके बारे में धारणा है कि इन्हें अंतिम संस्कार में दफ्नाने के काम में इस्तेमाल किया गया होगा. गैफ्नी ने बताया, "जिन नए स्मारकों का पता चला है ये अलग तरह के हैं और इन्हें भूगर्भ विज्ञानियों ने पहले नहीं देखा."
इस प्रोजेक्ट के जरिए स्टोनहेंज के पास ही स्थित डरिंग्टन वॉल के बारे में भी नई जानकारियां मिली हैं. यहां करीब 4500 साल पहले सभ्यता का अस्तित्व माना जाता. यह लगभग वही समय था जिस समय के स्टोहेंज हैं. रिसर्चरों के मुताबिक इसके इर्द गिर्द भी करीब तीन मीटर तक इसी तरह के पत्थरों का घेरा था. डिजिटल मैप पहले से ज्ञात प्रागैतिहासिक काल के स्टोहेंज के स्मारकों की रिसर्च में नई जानाकरियां जोड़ता है.
इस प्रोजेक्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के साथ विएना के लुडविग बेल्ट्समन इंस्टीट्यूट ने भी हिस्सा लिया. साथ ही इसमें शामिल अन्य यूनिवर्सिटियां हैं यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैडफर्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्र्यूज, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम और यूनिवर्सिटी ऑफ घेंट.
एसएफ/एएम (एपी,एफपी)
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