#विश्व का प्रथम सुपर कम्प्यूटर- क्रे के-1 एस(1979 अमेरिका ) #वतॆमान में विश्व का सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर- तियान्हे-2(चीन) #भारत का प्रथम सुपर कम्प्यूटर- परम (1998) #वतॆमान में भारत का सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर- विक्रम-100(2015-इसरो द्वारा) " Androi
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पहला सुपर कंप्यूटर इल्लीआक 4 है, जिसने 1975 में काम करना आरंभ किया। इसे डेनियल स्लोटनिक ने विकसित किया था। यह अकेले ही एक बार में 64 कंप्यूटरों का काम कर सकता था। इसकी मुख्य मेमोरी में 80 लाख शब्द आ सकते थे और यह 8, 32, 64 बाइट्स के तरीकों से अंकगणित क्रियाएं कर सकता था। इसकी कार्य क्षमता 30 करोड़ परिकलन क्रियाएं प्रति सेकंड थी, अर्थात जितनी देर में हम बमुश्किल 8 तक की गिनती गिन सकते हैं, उतने समय में यह जोड़, घटाना, गुणा, भाग के 30 करोड़ सवाल हल कर सकता था।
वतॆमान में विश्व का सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर- तिअन्हे-१अ (एन यू डी टी), चीन
भारत भी अब सुपर कंप्यूटर के क्षेत्र में एक हस्ती है। दुनिया के अव्वल 500 सुपर कंप्यूटरों की नई टॉप टेन लिस्ट में उसका सुपर कंप्यूटर चौथे स्थान पर आया है। टाटा कंपनी की पुणे स्थित इकाई - 'कंप्यूटेशनल रिसर्च लैबोरेटरीज' के बनाए हुए सुपर कंप्यूटर ‘एचपी-3000-बीएल-460-सी’ को 117.9 टेराफ्लॉप की गति के कारण अमेरिका और जर्मनी के सुपर कंप्यूटरों के ठीक बाद स्थान दिया गया है। हालांकि हमारा यह पहला सुपर कंप्यूटर नहीं है। इससे काफी पहले 1998 में सी-डेक, पुणे के वैज्ञानिक ‘परम-10000’ सुपर कंप्यूटर बना चुके हैं और दावा था कि उस वक्त वह सुपर कंप्यूटर मौजूदा अमेरिकी सुपर कंप्यूटरों के मुकाबले 50 गुना तेज था। लेकिन उसके बाद सुपर कंप्यूटिंग को लेकर भारत में वैसी उत्सुकता नहीं दिखाई दी, जैसी अन्य विकसित मुल्कों में इस दौरान रही है। पर अब लगता है कि भारत इस दौड़ में पिछड़े नहीं रहना चाहता, जिसका नतीजा है टाटा का यह सुपर कंप्यूटर।