Hindi, asked by vikaskanjwani0770, 22 hours ago

वैश्विक परिवर्तनों में भारत की भूमिका​

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Answered by Adarshkumar07
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आज यहां उपस्‍थित होना मेरे लिए वास्‍तव में सम्‍मान और विशेषाधिकार की बात है। हावर्ड वापस आना सही मायने में मेरे लिए अपार हर्ष और विशेषाधिकार का विषय है जिससे सेंटर फार इंटरनेशनल अफेयर्स अथवा वेदरहेड सेंटर में फेलो के रूप में 1992-93 के दौरान बिताए गए वर्षों और पुन: बाद में इससे पूर्व के कार्यकाल, जब मेरे पति 1983-1984 में जॉन एफ. केनेडी स्‍कूल ऑफ गवर्नमेंट में एडवर्ड मैसन फेलो थे, के दौरान बिताए गए समय की उत्‍कृष्‍ट यादें ताजा हो गई हैं।

सर्वप्रथम अमरीका में मेरा आगमन हावर्ड में ही हुआ था और हावर्ड से ही अमरीका के साथ मेरा परिचय हुआ। मैं इस संबंध को हमेशा स्‍मृति में रखूंगी।

वार्षिक हरीश सी. महीन्‍द्रा स्‍मारक व्‍याख्‍यान माला हावर्ड में बहुचर्चित कार्यक्रमों से एक बन गया है जिसके द्वारा दक्षिण एशियाई विशेषज्ञों एवं दक्षिण एशिया की सार्वजनिक हस्‍तियों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जा रहा है और इस क्षेत्र के समक्ष विद्यमान चुनौतियों को समझने में मदद मिल रही है। हरीश महीन्‍द्रा की तुलना प्रिंस ऑफ फ्लोरेंस के रूप में की गई है।

यह सही भी है क्‍योंकि वे सही मायने में पुनर्जागरण के अग्रदूत हैं जिनके व्‍यक्‍तित्‍व में बौद्धिक एवं उद्यमशील प्रयासों की सही भावनाओं का समावेश था और जो जीवन के सौंदर्य को समझते थे। इस संदर्भ में आज शाम होने वाली चर्चा का विषय, 'भारत की वैश्‍विक भूमिका' अत्‍यंत ही प्रासंगिक है। मैं इस बात के प्रति आश्‍वस्‍त हूँ कि यह चर्चा हावर्ड और भारत के बीच और भी बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने की दिशा में उत्‍प्रेरक सिद्ध होगी।

हाल में आर्थिक शक्‍ति के एशिया में स्‍थानांतरण होने की पृष्‍ठभूमि में भारत की वैश्‍विक भूमिका का उल्‍लेख निरंतर किया जाता रहा है। आज वैश्‍विक आर्थिक संकट द्वारा उत्‍पन्‍न आर्थिक परेशानियों के बावजूद भारत की गतिशील विकास प्रक्रिया के बारे में बोलना एक फैशन के समान हो गया है। परन्‍तु भारतीय अनुभव को पूरी तरह से समझने के लिए हमें तीव्र आर्थिक विकास से जुड़े कारकों से कहीं आगे जाना होगा। इससे हम भारत की विलक्षण विशेषताओं तथा एक आधुनिक एवं लोकतांत्रिक देश के रूप में इसकी स्‍थिरता को बेहतर तरीके समझ पाने में समर्थ हो सकेंगे।

इस वर्ष हम भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की 60वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। मैं समझती हूँ कि जिन लोगों ने अगस्‍त 1947 में हमारी स्‍वतंत्रता के बाद से भारत के विकास की प्रक्रिया का अध्‍ययन किया है, वे इस बात से सहमत होंगे कि एक आधुनिक राष्‍ट्र के रूप में सबसे महत्‍वपूर्ण और सबसे स्‍थाई तत्‍व इसका लोकतांत्रिक उन्‍मुखीकरण ही रहा है। प्रताप भानु मेहता, जो यहीं हावर्ड में पढ़ाया करते थे, ने हाल ही में उन विशेषताओं का उल्‍लेख किया था जिनके आधार पर हमारे संविधान का विकास हुआ और मैं उद्धृत करती हूँ:

''वैयक्‍तिकता के साथ पारस्‍परिक सम्‍मान, बौद्धिकतावाद के साथ लोकतांत्रिक संवेदनशीलता, विश्‍वास के साथ अविश्‍वसनीयता, महत्‍वाकांक्षा के साथ संस्‍थाओं की प्रतिबद्धता का समावेश तथा भूतकाल एवं वर्तमान काल का विधिवत सम्‍मन करते हुए भविष्‍य की आशाओं के बीच सामंजस्‍य स्‍थापित करने की योग्‍यता।'' आदर्श तौर पर मैं बताना चाहूंगी कि ये विशेषताएं 21वीं सदी में भी भारत की वैश्‍विक भूमिका के संदर्भ में उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी ये हमारे संविधान के संस्‍थापकों के काल के दौरान थीं।

हमारा लोकतांत्रिक परिवर्तन और लाखों भारतीयों का सशक्‍तीकरण, जिनका विकास औपनिवेशिक सत्‍ता की प्रजा से विश्‍व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों के रूप में हुआ, ही एक महान गाथा है। वस्‍तुत: लोकतांत्रिक शासन का भारतीय मॉडल और भारत की आर्थिक ताकत और गतिशीलता विश्‍व मंच पर भारत की भूमिका की क्षमताओं और संभावनाओं को उजागर करती है।

जब हम भारत के आर्थिक परिवर्तन की बात करते हैं, तो हम यह भी आशा करते हैं

Explanation:

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Answered by shailendrac233230
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Answer:

bharat ki bhumika aham hai

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