विश्व क्यों सिकुड़ता जा रहा है कारण लिखिए
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जनसंख्या में तीव्र गति से हो रही वृद्धि के कारण पर्यावरण, आवास और रोजगार की समस्या के साथ-साथ अन्य कई समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं जिनका शीघ्र निराकरण न किया गया तो समूची मानव सभ्यता विनाश के कगार पर पहुँच सकती है। लेखक का कहना है कि भारत में बढ़ती आबादी का पृथ्वी, जल, वायु आदि प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और इन संसाधनों में लगातार कमी हो रही है इसके अलावा प्रदूषण के कारण चिकित्सा क्षेत्र की अद्भुत उपलब्धियाँ भी विफल होती जा रही हैं और मानव स्वास्थ्य के लिये नये-नये खतरे पैदा हो रहे हैं। लेखक का सुझाव है कि जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने की समन्वित नीति अपनाई जाए जिसमें सरकार, समाज तथा आम लोगों की पूरी भागीदारी हो।
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Explanation:यूरोप के आन्तरिक जलमार्ग: राइन, सीन, पो नामक उत्तर की ओर बहने वाली नदियाँ तथा डेन्यूब, डोन, नीपर तथा नीस्टर नदियों तथा कैस्पियन सागर में गिरने वाली वोल्गा नदी के निचले भाग।
उत्तही अमेरिका के आन्तरिक जलमार्ग: संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा के मध्य स्थित महान झील क्षेत्र, संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी-मिसौरी, मिसीसिपी तथा ओहियो नदियों तथा कनाडा में सस्केचवान, मैकेन्जी तथा ओटावा नदियाँ।
एशिया के आन्तरिक जलमार्ग: चीन में ह्वांगहो नदी के मुहाने से लेकर 200 किमी ऊपर ऊ का नदी प्रवाह तथा सीक्यांग नदी, भारत में गंगा, म्यांमार में इरावदी व हिन्द-चीन क्षेत्र में मीनाम नदियाँ प्रमुख हैं।
दक्षिणी अमेरिका के आन्तरिक जलमार्ग: उत्तरी ब्राजील में अमेजन व उसकी सहायक नदियों का लगभग 30 हजार किमी लम्बा नदी मार्ग। दक्षिणी ब्राजील, अर्जेन्टाइना तथा यूरुग्वे की पराना, पराग्वे व प्लाटा नदियाँ।
अफ्रीका के आन्तरिक जलमार्ग: नील नदी का मुहाना प्रदेश तथा नाइजर व कांगो नदियों के मुहाने से लेकर लगभग 1100 किमी अन्दर तक।
आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया में मरे व डार्लिंग नदियों के मुहाने से लेकर 1500 किमी अन्दर तक।