वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है इस कथन को अपने शब्दों में लिखिए
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वैश्वीकरण में धनी उपभोक्ता और कुशल, शिक्षित एवं धनी उत्पादकों को ही लाभ पहुंचा है। अब इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं। धनी उपभोक्ता अब अनेक उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता और कम कीमत का लाभ उठा रहे हैं। उनका जीवन स्तर अपेक्षाकृत ऊँचा हुआ है। परन्तु उत्पादकों और श्रमिकों पर वैश्वीकरण का एक समान प्रभाव नहीं पड़ा है जैसा कि निम्नलिखित वर्णन से स्पष्ट होता है अच्छे प्रभाव-
(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए वैश्वीकरण लाभप्रद रहा है क्योंकि उनके उत्पादों को संपन्न वर्ग खरीद रहा है।
(ii) सेलफोन खाद्य पदार्थों आदि के उद्योगों से शहरों में नए रोजगारों में वृद्धि
(iii) भारतीय कंपनियों को भी नवीनतम प्रौद्योगिक से लाभ हुआ है।
(iv) कई भारतीय कंपनियाँ जैसे टाटा मोटर्स, इंफोसिस विश्वस्तर पर अपना प्रसार करने में सफल हुई हैं। .
(v) वैश्वीकरण से सेवा प्रदाता कंपनियाँ विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी कंपनियाँ रोजगार के नए अवसरों का सृजन करने में सफल हुई हैं। बुरे प्रभाव-इसके बुरे प्रभाव भी हैं जैसाकि निम्नलिखित हैं
(i) छोटे उत्पादकों के लिए .प्रतिस्पर्धा करो या नष्ट हो जाओ. की स्थिति है जिसके फलस्वरूप काफी व्यवसाय बंद हो गए हैं।
(ii) वैश्वीकरण के अंतर्गत प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप श्रमिकों के लिए अनिश्चित रोजगार की स्थिति आ गई है जबकि अधिकांश नियोक्ता श्रम कानूनों के लचीलेपन के परिणामस्वरूप श्रमिकों को स्थायी रोजगार प्रदान नहीं करते । मजदूरी भी काफी कम होती है और श्रमिकों को अतिरिक्त समय में काम भी करना पड़ता है। उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट हो जाता है कि वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।